लाल सलाम और राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हो गए सियासत के संत राय दा

Dhanbad (Manoj Mishra) : धनबाद के पूर्व सांसद एके राय उर्फ राय दा सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. दामोदर नदी के मोहलबनी घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.  

छोटे भाई ने राय बाबू को मुखाग्नि दी, राय दा अविवाहित थे.  इस माैके पर झारखंड सरकार के प्रतिनिधि के ताैर पर राजस्व मंत्री अमर बाउरी उपस्थित थे.

झारखंड के राजनीतिक संत माने जाने वाले एके राय का लंबी बीमारी के बाद रविवार को बीसीसीएल के केंद्रीय अस्पातल में निधन हो गया था. उनकी उम्र लगभग 84 वर्ष थी.  

रविवार को उनके पार्थिव शरीर को आम जनता के दर्शन के लिए मासस के पुराना बाजार टेंपल रोड स्थित एमसीसी कार्यालय में रखा गया गया था.  वहीं आज उनकी अंतिम यात्रा में हजारो लोग शामिल हुए.

सोमवार सुबह हजारों लोगों ने अपने प्रिय मजदूर नेता एके राय के पार्थिव शरीर पर फूल-माला चढ़ा श्रद्धांजलि दी.  

पूर्व सांसद कॉमरेड एके राय की अंतिम यात्रा लाल सलाम की गूंज के साथ पुराना बाजार टेंपल रोड स्थित मासस कार्यालय से मोहलबनी घाट के लिए सोमवार नाै बजे रवाना हुई. फूलों से सजाए गए वाहन पर राय का पार्थिव शरीर रखा गया.

वाहन के पीछे-पीछे हजारों लोग-राय दा अमर रहे, राय दा को लाल सलाम, जैसे गगनभेदी नारे लगाते हुए चलते रहे. धनसार, झरिया होते हुए नुनूडीह स्थित लाल मैदान में शवयात्रा पहुंची.

यहां अंतिम दर्शनार्थ पार्थिव शरीर को रखा गया.  धनबाद से मोहलबनी घाट जाने में राय दा के शव को लगभग 6 घण्टे लग गए.  इसके बाद तीन बजे दामोदर नदी के मोहलबनी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.

यहां राजकीय सम्मान के साथ जवानों ने सलामी दी. इस दौरान धनबाद डीसी अमित कुमार, मंत्री अमर बाउरी, जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन, पूर्व मंत्री समरेश सिंह, पूर्व मंत्री मथुरा महतो, निरसा मासस विधायक अरूप चटर्जी, पूर्व सिंदरी विधायक आनंद महतो, बबलू महतो सहित हजारो लाल झंडा के समर्थक और अन्य दल के नेता उपस्थित रहे.  

यहां बता दें कि स्वच्छ छवि और ईमानदारी के मिशाल थे राय दा. राजनीति में इतने सक्रिय रहने के बाद भी कोई घर नही खरीदे कोई सम्पति नहीं बनाई यहां तक कि पूर्व सांसद के पेंसन को भी राष्ट्पति कोष में दान  दिए.  

श्रद्धांजलि देने पंहुचे शिबू सोरेन ने कहा कि राय दा राजनीति के संत थे, इन्हें ईमानदार और स्वछ छवि के लिए याद किया जायेगा.

वहीं राय दा के समर्थकों ने कहा कि राजनीति के संत अरुण कुमार राय उर्फ़ ए के राय उर्फ़ राय दा अब सशरीर हमलोगों के बीच नहीं रहे. लेकिन आज जहां पूरे देश में “भ्रष्टाचार” गम्भीर मुद्दा बना हुआ है. सभी प्रमुख राजनितिक पार्टियों के कद्दावर नेता भ्रष्टाचार पर बयानों का बाण चलाने से नहीं चुक रहे.

इस दौर में देश की राजनीति में सक्रिय नेताओं को एक बार “राय दा” के जीवन शैली, सादगी और राजनीतिक सोच से अवश्य रु-ब-रु होना चाहिए.