प्रभु ने इन्द्र के अभिमान को चूर करने के लिए गोवर्धन पर्बत को धारण किया : आचार्य कान्हा कौशिक

रिपोर्ट- बी के सिंह

निरसा :- निरसा स्थित राधा गोविन्द मंदिर प्रांगण में श्रीमदभागवत कथा पंचम् दिवस पर आचार्य कौशिक जी ने सर्वप्रथम पूतना के प्रसंग की व्याख्या की. आचार्य जी ने बताया कि भगवान कृष्ण को मारने के लिए पूतना आई थी पूतना का अर्थ है जिसका तन मन पवित्र ना हो पूतना भगवान को मारने के लिए आई लेकिन ऐसी पूतना का भगवान ने स्तनपान कर उसको मोक्ष प्रदान किया. आचार्य जी ने कथा के दौरान बाल गोपाल कृष्ण की माखन चोरी की लीला का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया. विशेष आकर्षण में ग्वाल वालों सहित भगवान कृष्ण द्वारा माखन की मटकियां फोड़ने के प्रशंग की झांकियां की व्याख्या करते हुए श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया. कथावाचक ने इंद्र और श्री कृष्ण के प्रसंग व्याख्या करते हुए बताया कि इंद्र को अपने ऊपर बड़ा अभिमान था उनका ऐसा मानना था कि उनको प्रसन्न किये बगैर ब्रज वासियों का कोई कार्य पूर्ण नहीं हो सकता  और इंद्र के इसी अभिमान को चूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली में गोवर्धन धारण किया और इन्द्र के अभिमान को चूर किया.

इस मौके पर मुख्य रूप से झामुमो कार्यकारणी सदस्य अशोक मंडल, संजय शर्मा,पृथ्वीनाथ झा,संजय तायल, विश्व्नाथ मित्तल, मोहनलाल अग्रवाल,रोशन भलोटिया,नोरंग खरकिया,माधोप्रसाद खरकिया,प्रदीप गोयल,शुशील गोयल,रमेश गोयल,सुकेश मुख़र्जी,आदि मुख्यरूप से उपस्थित थे.