नई दिल्ली: ´एक देश एक भाषा´ को लेकर उपजे विवाद में अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन भी कूद गए हैं. सोमवार को एक राष्ट्र, एक भाषा के खिलाफ चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि भारत 1950 में ´अनेकता में एकता´ के वादे के साथ गणतंत्र बना. कोई शाह, सुल्तान या सम्राट उस वादे को नहीं तोड़ सकता. हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं लेकिन हमारी मातृ भाषा हमेशा तमिल रहेगी. मक्कल निधि मय्यम पार्टी के अध्यक्ष ने आज जारी एक वीडियो में कहा कि एक और भाषा आंदोलन होगा और इस बार यह जल्लीकट्टू विरोध प्रदर्शनों की तुलना में बहुत बड़ा होगा. हासन ने कहा, ´जल्लीकट्टू सिर्फ एक विरोध था. हमारी भाषा के लिए लड़ाई उसकी तुलना में बड़ी होगी. भारत या तमिलनाडु को इस तरह की लड़ाई की जरूरत नहीं है. ´उन्होंने कहा, ´बहुत सारे राजाओं ने भारत को संघ बनाने के लिए अपना राज छोड़ दिया. लेकिन लोग अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान को छोड़ना नहीं चाहते थे. इस समावेशी भारत को ना बदलें. इस तरह की अदूरदर्शी मूर्खता के कारण सभी पीड़ित होंगे. ´ कमल हासन का ये वीडियो तब आया है, जब 2 दिन पहले हिन्दी दिवस के मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने एक भाषा की बात कही. उन्होंने कहा, ´हिन्दी दिवस के अवसर पर हमें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. इस दुनिया में कई ऐसे देश हैं जिनकी भाषाएं विलुप्त हो गई हैं. जो देश अपनी भाषा छोड़ता है वह अपना अस्तित्व भी खो देता है. जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह अपनी संस्कृति को संरक्षित नहीं कर सकता है. भाषाओं और बोलियों की विविधता हमारे राष्ट्र की ताकत है. लेकिन हमारे राष्ट्र के लिए एक भाषा होना आवश्यक है, ताकि विदेशी भाषाओं को जगह न मिले. यही कारण है कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हिंदी को ´राजभाषा´ कहा. ´इससे पहले उन्होंने ट्वीट कर कहा, ´भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने. आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है. आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढाएं और साथ में हिंदी भाषा का भी प्रयोग कर देश की एक भाषा के पूज्य बापू और लौह पुरूष सरदार पटेल के स्वप्प्न को साकार करने में योगदान दें. ´