चौकीदार चोर है कहने पर बुरे फंसे राहुल गांधी, अवमानना नोटिस जारी

सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर ´चौकीदार चोर है´ का बयान देने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अवमानना नोटिस जारी किया गया है. पहले कोर्ट ने राहुल से स्पष्टीकरण मांगा था अब अवमानना नोटिस जारी किया है. इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी. सोमवार (22 अप्रैल) को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में अपनी टिप्पणी पर खेद व्यक्त किया था, जिसमें कहा था कि चुनावी माहौल में ऐसा बयान दे दिया था जिसके लिए उन्हें खेद है.  

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिये दायर याचिका पर 30 अप्रैल को राफेल सौदे पर उसके 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिका के साथ ही सुनवाई करेगी. कोर्ट ने लेखी की ओर से दायर आपराधिक अवमानना का मामला खत्म करने का राहुल गांधी का अनुरोध ठुकरा दिया.  

लेखी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राहुल गांधी ने जवाब मे बयान पर खेद जताया है और कहा है कि उन्होंने कोर्ट का आदेश देखे बग़ैर पत्रकारों से ऐसा कहा था. उन्होंने माना कि कोर्ट आदेश मे ऐसा नही था. रोहतगी ने कहा जैसे उन्होंने खेद जताया है उसे माफ़ी मांगना नहीं कहा जा सकता. जब राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट ने उनसे सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा था जो कि उन्होंने दिया है. कोर्ट ने उन्हें नोटिस नहीं जारी किया है. इस पर सीजेआई ने कहा कि आप कह रहे हैं कि नोटिस नहीं जारी हुआ तो अब नोटिस कर रहे हैं और कोर्ट ने राहुल को नोटिस जारी किया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल मामले में फ़ैसले के बाद सुप्रीमकोर्ट का नाम लेकर ´चौकीदार चोर है´ बयान पर खेद जताया. राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव प्रचार के जोश में ऐसा कह दिया था. कहा- किसी भी तरीके से राफेल मामले को लेकर चल रही सुनवाई या फैसले के संदर्भ में गलत टिप्पणी कर अदालत की अवमानना करने की उनकी मंशा नहीं थी. उन्होंने उक्त बयान सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भरोसा करके और उनके पास मौजूद एक्टिविस्ट व कार्यकर्ताओं की बातों पर भरोसा करते हुए कही थी.

शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को स्पष्ट किया था कि राफेल पर उसके फैसले में ऐसा कुछ भी नहीं था, जिसके हवाले से यह कहा जा सके कि ‘चौकीदार चोर हैं’. राहुल गांधी ने कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि अब शीर्ष अदालत भी मानती है कि ‘चौकीदार चोर है. ’

शीर्ष अदालत ने बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी की अवमानना याचिका पर 15 अप्रैल को राहुल गांधी को निर्देश दिया था कि वह 22 अप्रैल तक स्पष्टीकरण दें. मीनाक्षी लेखी ने इन टिप्पणियों के लिये राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया था. मालूम हो कि विवादित बयान को लेकर सांसद मिनाक्षी लेखी ने राहुल के ख़िलाफ़ सुप्रीमकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘अवमानना याचिका पर गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को सुनने के बाद हम प्रतिवादी (राहुल) गांधी को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं. ’ पीठ ने कहा, ‘हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि पुनर्विचार याचिका को अवमानना याचिका के साथ अगले मंगलवार को सूचीबद्ध करे. ’

शीर्ष अदालत के निर्देश पर दायर हलफनामे में गांधी ने कहा कि उनका बयान ‘विशुद्ध रूप से राजनीतिक’ और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं और सरकार की ओर से चलाये जा रहे उस दुष्प्रचार के जवाब में था, जिसमे कहा जा रहा था कि राफेल सौदे के मामले में पिछले साल 14 दिसंबर के फैसले में मोदी सरकार को क्लीन चिट दी गयी है.  

कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से मीडिया को दिये गये एक इंटरव्यू का भी जिक्र किया जिसमे उन्होंने कहा था कि शीर्ष अदालत ने राफेल सौदे में उनकी सरकार को क्लीन चिट दी थी. राहुल गांधी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के बारे में किसी भी प्रकार का ‘‘आक्षेप’’ करने की उनकी ‘‘जरा भी मंशा’’ नहीं थी क्योंकि शीर्ष अदालत के प्रति उनका बहुत अधिक सम्मान है..

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे स्पष्टीकरण में कहा कि उन्होंने पुनर्विचार याचिका में राफेल सौदे समेत संबंधित चुनिन्दा दस्तावेजों की स्वीकार्यता के बारे में 10 अप्रैल को शीर्ष अदालत के आदेश को देखे या पढ़े बगैर ही उसी दिन अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद यह बयान दिया था.  

हालांकि, ‘‘चौकीदार चोर है’’ नारे के बारे में गांधी ने अपने हलफनामे में अपने और अपनी पार्टी के इस रूख और विश्वास को दोहराया कि राफेल सौदा ‘‘संदिग्ध’’ है और इसमें शासकीय अधिकारों का बहुत दुरूपयोग किया गया है और यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार का एक नमूना है जिसकी संयुक्त संसदीय समिति से गहराई से जांच और फिर इसके बाद की कार्यवाही की जरूरत है.

Web Title : SUPREME COURT ALSO SAID THAT THE RAFALE DEAL REVIEW PETITIONS MATTER WILL BE HEARD ON APRIL 30

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