पत्रकार ऐसी मौत क्यों पाते हैं : रंजन झा

धनबाद : कहने को क्या-क्या नहीं. धनबाद के पत्रकारों के बारे में दूर तक चर्चाएं. यहां की कमाई की चर्चा.

लेकिन, आखिर अपने वेद बाबा ने पाया क्या! जब काम के थे, जगह पर थे.

तब तक तो सब ठीक ही था. लेकिन, जैसे ही उनके साथ दुर्घटना हुई. सहायताओं के वे मुहताज हो गए.

घरवालों से जितना बन पड़ा सबने अपने वेद बाबा के लिए भरपूर किया. नहीं, तो पत्रकारों को तो घर का सपोर्ट भी नहीं मिलता.

आखिर आपकी मुराद क्या है. पांच हजार, दस हजार, बीस हजार बस...तब तो वे भी नहीं मिलते थे.

70, 80 और 90 के दशक तक धनबाद के पत्रकारों को 300-500 तक मिलते थे. एक दिहाड़ी मजदूर से काफी कम हाजिरी.

आज भी एक दिहाड़ी मजदूर यहां 150 रुपए पर अभी काम कर रहा है. कुल मिलाकर धनबाद के आधे से अधिक पत्रकार इससे भी कम पैसे में खट रहे हैं.

20 हजार से अधिक हर महीने पानेवाले गिनती के हैं. शायद आपको पता नहीं कि धनबाद के कई सारे पत्रकार अभाव में बहुत ही तड़प कर मरे.

अपने ख्याति के हिंदी गजलगो और पत्रकार मदन सागर अभावों में ही जीते रहे.

वे सही मामले में कलमकार थे. उमेश श्रीवास्तव की भी बड़ी दर्दनाक मौत हुई.

कई दिन भूल से बिलबिलाए. उनकी अंतडि़यां सूख गयी. भूख से उनकी मौत इसी धनबाद शहर में हुई.

पर किसी रहनुमा ने ना ही उनकी सुधि ली ना ही उनके परिवार की. उनके बच्चों को मैंने जिन्दगी से संघर्ष करते देखा. वे आज भी संघर्ष कर रहे हैं.

अब अपने वेद बाबा. वेद प्रकाश ओझा. इस पत्रकार ने दूसरे की मदद में ही जिंदगी गुजार दी. जितना बन पड़ा सबके लिए किया.

अपने बच्चों और परिवार की इन्हें सुधि नहीं थी. 24 घंटे पत्रकारिता और समाजसेवा के लिए समर्पित.

हालांकि, घर चलाने की चिंता इसे कभी किसी ने नहीं दी.

कुछ साल पहले वेद का एक्सीडेंट हुआ था. उसमें उसे बड़ी मुश्किल से जीवनदान मिला.

तब उनका ब्रेन हेंमे्रज हुआ था. बीपी और शुगर की बीमारी पहले से अनकंट्रोल्ड थी ही.

दूसरी बार एक्सीडेंट में कहने को मामूली अंगुलियों में चोट लगी थी. लेकिन, यही चोट जान लेवा हुई.

 

न्यूजमैनशिप के लिए फायर ऑफ बेली : उमा

हम वेद को जाते नहीं देख सकते. न्यूजमैनशिप के लिए फायर ऑफ बेली; पेट की आगद्ध जैसी तीव्रता और बेताबी की अपेक्षा करनेवाले कोयलांचल के पत्रकार वेद प्रकाश आज जिंदगी और मौत से जब जूझ रहे हैं तो कोयलांचल के बहुत कम साथी हैं जिन्हें वह याद आते हैं.

करीब दो दशक पहले भारतीय खनि विद्यापीठ की निबंध प्रतियोगिता में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने के बाद धनबाद के एक स्थानीय दैनिक ने अपने यहां काम करने का अवसर दिया.

और यहीं से शुरू हुई उसकी पत्रकारिता दस साल पहले प्रभात खबर के धनबाद संस्करण में काम करते हुए गिरिडीह राइफल लूट कांडए महेंद्र सिंह हत्याकांड और भेलवाघाटी उग्रवादी घटना की रिपोर्टिग के लिए काम निबटाकर रात तीन बजे धनबाद से गिरिडीह जाना हम साथी भूल नहीं सकते.

नक्सली वारदात की रिपोर्टिग के लिए गिरिडीह कूच करते समय किसी अंदेशा की बजाय तीर्थ की अनुभूति और एडवेंटर; साहसिक अभियानद्ध का रोमांच उसके चेहरे पर हम देखते थेण् यह जज्बा और जुनून ही था कि घातक हादसे से उबरने के बाद वेद उसी पुराने जोशो-खरोश के साथ रिपोर्टिग के अपने पुराने काम में जुत गये थे.

भीतर ही भीतर मधुमेह गुरदा की परेशानी से टूट रहे वेद के चेहरे पर कभी किसी ने थकान या उदासी नहीं देखी.

अपोलो और एम्स का चक्कर लगा रहा. गैंग्रीन ने पीछा भी नहीं छोड़ा था कि फिर आ गये काम पर यह उम्मीद जताते हुए कि काम करते-करते सामान्य हो जायेंगे.

पैर के अंगूठे का घाव सूखा भी नहीं था कि पट्टी बंधे पांव के साथ लंगड़ाते-लंगड़ाते धमक गये काम पर.

संपादक और दफ्तर के आग्रह के बावजूद यह हाल था. कभी हादसा तो कभी बीमारी के कारण बार-बार अस्पताल का चक्कर लगता रहा.

हर बार थोड़ा ठीक होकर जिंदगी के लिएए हम सभी के लिए बची-खुची ऊर्जा जुटा कर और टूटती उम्मीद को छीन कर लाते रहे.

लेकिन बार.बार किस्त.किस्त में बीमारियां भीतर ही भीतर उन्हें खाये जा रही थी.

और हम थे कि खोखली होती उम्मीद से हौसला पा रहे थे कि हमारा वेद खुशी के सामानों के साथ लौट रहा है.

बिना किराये के कोई किसी मकान में कितने दिनों तक रह सकता है. लगभग यही हाल उसकी सेहत का होता रहाण् शरीर अब सेहत का किराया देने में लगातार लाचार होता गया.

कोयलांचल में जितनी मदद हो सकती थी मीडिया ने अलग-अलग क्षेत्रों से मदद जुटायी. उन्हें जिलाकर रखने में कोई कोताही नहीं की घर वालों ने जहां इलाज में लाखों के मासिक खर्च आ रहे हों.

वहां साजो-सामान जुटाने में उनके कुनबेए हमारे साथियों के दम टूटते जा रहे हैं.

 

सिटी लाइव में शोक सभा

प्रभात खबर धनबाद में कार्यरत चीफ रिपोर्टर वेद प्रकाश ओझा की आज कोलकाता में आकस्मिक मौत होने पर सिटी लाईव ने उनकी आत्मा की शान्ति के लिये दो मिनट का मौन रखा.

इस श्रधांजलि सभा में शामिल होने वालों में मुख्य रूप से श्रीकांत, नवनीत, रंजन झा, वैधनाथ झा, अमित विश्वकर्मा, भूपेंद्र श्रीवास्तव एवं राजकुमार मंडल थे.

Web Title : TRIBUTE TO PRABHAT KHABAR CHIEF REPORTER VED PRAKASH OJHA