इस तकनीक से पहले लग जाएगा हार्ट अटैक का अंदेशा, बताएगा दिल का हाल


नई दिल्ली: भारत में पिछले कई सालों में बीमारियों से होनेवाली मौत का पैटर्न बदल गया है. अब 4 में से 1 व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक या दिल की बीमारी का शिकार हो रहा है. साल 2016 की मेडिकल जनरल के मुताबीक, 80 प्रतिशत मौतों के लिए हार्ट अटैक प्रमुख कारण है.. तो ऐसी कौन सी तकनीक है जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों का पता बिना चीर-फाड़ के लगाया जा सके? हार्ट को ब्लड सप्लाई करनेवाली ब्लड वैसेल में रुकावट की वजद से हार्ट अटैक की नौबत आती है. अब तक दिल से जुड़ी गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए एकमात्र तरीका मरीज की बल्ड वैसेल को पंचर करके और एक कैथेटर में डालकर हार्ट तक ब्लड पहुंचाया जाता था. यह एक इनवेसिव तरीका है जिसमें न केवल समय लगता है ब्लकि मरीज के लिए थोड़ा दर्दनाक भी होता है. आर्टरी की रुकवाट के साथ दिल के ऐसे मर्ज होते हैं जो हार्ट के वॉल्व, मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं और कुछ मामलों में बचपन से ही बच्चे दिल की बीमारी के साथ ही पैदा होते हैं.

देश की राजधानी में अब एक नई तकनीक के जरीए बीना इनवेसिव के ही दिल की बीमारी का पता लगाया जा रहा है. दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में एमआरआई (MRI) मशीन और सीटी स्कैन की मदद से हार्ट डिजीज का पता लगाया जा रहा है. इस तकनीक को कार्डियाक इमेंजिंग कहा जाता है. इमेजिंग मॉडलिटी जैसे कि मल्टी-डिटेक्टर सीटी, दिल की धमनियों को हाथ की नस में एक छोटी सी सुई लगाकर देखने का तरीका है. यह दोनों जांच देश में मौजूद हैं, जरूरी है कि इस बारे में डॉक्टरों को भी पता चले, इसलिए गंगाराम अस्पताल में तीन दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया गया.  

इस बारे में गंगाराम अस्पताल के सीटी एंड एमआरआई (MRI) डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉक्टर टीबीएस बख्शी ने कहा कि एमआरआई (MRI) और सीटी, कार्डियक इमेजिंग में एक नया विषय है और क्लिनिकल प्रशिक्षण के माध्यम से जागरूकता पैदा करना हमारी प्राथमिकता रही है. दिल की बीमारी की सही एनालिसिस के लिए एमआरआई (MRI) में इस्तेमाल की जाने वाली बिना चीड़-फाड़ की तकनीक अभी भी शुरुआती अवस्था में ही है.

कार्डिएक सीटी की खास बात यह है कि 40 साल की उम्र के बाद अगर किसी को हार्ट अटैक का खतरा है तो यह जांच पहले ही बता देती है जिससे मरीज अपनी लाइफस्टाइल बदल सकता है. कार्डियाक एमआरआई (MRI) में  हार्ट ब्लॉकेज और बच्चों के फेफड़ों में रुकावट का पता लगाया जा सकता है. एमआरआई (MRI) एक और ऐसा इमेजिंग मोडेलिटी है जो हार्ट की मांसपेशियों की स्थइति और साथ  ही दिल की धडकन का पता लगाता है.  इतना ही नहीं हार्ट अटैक के बाद यह जानकारी दे सकता है कि मसल्स को कितना नुकसान हुआ है और सर्जरी की जानी चाहिए? यह मायोकार्डिटीस  मासंपेशियों की सूजन की जानकारी देता है. जिन बच्चों का ऑपरेशन किया गया होता है और अगर दोबारा सर्जरी करनी पड़े तो कार्डियक एमआरआई (MRI) से दिल कितने अच्छे से काम कर रहा है यह जानकारी मिल सकती है. कार्डियाक एमआरआई (MRI) रियल टाइम में एक धड़कता हुआ दिल देख सकता है.  

Web Title : THIS TECHNIQUE WILL TAKE PLACE BEFORE THE HEART ATTACK, WILL TELL THE HEART CONDITION

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