बिहार- सोनपुर मेला: परिसर सज कर तैयार, आपका है इंतजार; आने-जाने के लिए लग्जरी गाड़ी तो ठरहने को स्विस कॉटेज
गजेन्द्र मोक्ष की धरती हरिहरक्षेत्र दो वर्षों तक कोरोना का कहर झेलने के बाद एक बार फिर सज-धजकर तैयार है. इसे हरिरहर नाथ मेला भी कहा जाता है. श्रद्धालुओं और सैलानियों के स्वागत की यहां जोर-शोर से तैयारी चल रही है. सोनपुर मेले को लेकर न सिर्फ जिले बल्कि अन्य जिलों से आने वाले लोगों, व्यापारियों और साधु-संतों में भी खासा उत्साह है. शुक्रवार को देवोत्थान के अवसर पर जब गाजे-बाजे और मंत्रोच्चार के बीच हरिहरक्षेत्र मेला कलश यात्रा निकली, तो गजेन्द्र मोक्ष की कथा जीवंत हो उठी. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला एशिया प्रसिद्ध सोनपुर मेला इस वर्ष सरकारी स्तर पर छह नवंबर से शुरू हो रहा है. उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मेले का शुभारंभ करेंगे. इसके बाद विधिवत तरीके से मेला अपनी रौ पर होगा और एक माह तक चलेगा. वैसे गैर सरकारी स्तर की बात करें तो देवोत्थान से ही मेला शुरू हो जाता है.
मेले की हृदयस्थली नखास में कृषि प्रदर्शनी, रेलग्राम, पर्यटन विभाग का मुख्य पंडाल सज रहा है. हरिहर द्वार, गाय बाजार, घोड़ा बाजार, बैल बाजार की रौनक बढ़ गई. चिड़िया बाजार में सजावट हो रही है. कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए साधु-संतों का आगमन शुरू हो गया है. प्रशासनिक टीम मेले को भव्य और आकर्षक लुक देने की तैयारियों में दिन-रात जुटी हुई है. मेले को लेकर न सिर्फ सारण, वैशाली, पटना, मुजफ्फरपुर बल्कि यूपी और अन्य राज्यों के लोगों के साथ ही विदेशी सैलानियों में भी खासा उत्साह है. मेले में ज्यादा से ज्यादा सैलानी पहुंच सकें, इसके लिए पर्यटन विभाग ने भी विशेष तैयारी की है. 30 स्विस कॉटेज तैयार किए गए हैं. खास बात यह है कि इन स्विस कॉटेज का रेट 2019 वाला ही रखा गया है. यही नहीं उसमें भी अग्रिम बुकिंग पर 10 फीसदी की छूट मिल रही है. वैसे तो देवोत्थान तक बैल बाजार में पहले ज्यादा बैल पहुंचते थे, लेकिन इस बार लाज घोड़ा बाजार ने ही रखी है. लगातार एक से बढ़कर एक नस्ल के घोड़ों का आना जारी है. बलिया, बक्सर, पटना, मुजफ्फरपुर, सीवान आदि जगहों से अब तक करीब 400 घोड़े पहुंच चुके हैं. किस्म-किस्म के घोड़े अपनी रफ्तार, सुन्दरता और चाल से लोगों को आकर्षित कर रहे हैं. बैल बाजार में इस बार अन्य वर्षों जैसी भीड़ नहीं दिख रही. यहां की रौनक गुरुवार को जितनी बढ़नी चाहिए थी, उतनी नहीं बढ़ी. गाय बाजार का भी ऐसा ही हाल रहा. यहां सन्नाटा दिखा. बैल बाजार में सारण, भोजपुर आदि इलाकों के ही करीब 30-35 जोड़ी बैल अभी पहुंचे हैं. कार्तिक पूर्णिमा स्नान तक संख्या के बढ़ने की उम्मीद है. मेले में कई वर्षों के बाद चिड़िया बाजार लगाने की तैयारी अंतिम चरण में है. प्रतिबंधित चिड़ियों की बिक्री पर रोक रहेगी.