दो दिवसीय कार्यक्रम में हिस्सा लेने पंहुचे आध्यात्मिक गुरु परमहंस प्रज्ञानानंद जी, कहा ब्रह्म चेतना की अनुभूति जीवन का लक्ष्य है

पटना : क्रिया योग मुक्ति हेतु आवश्यक समय को बहुत कम करता है एवं इसे एक जन्म में संभव बनाता है. जो व्यक्ति जितना अधिक इस प्रविधि का निष्ठा से नियमित एवं ईमानदारीपूर्वक अभ्यास करेगा वह व्यक्ति उतना ही सविकल्प समाधि (परम चेतना की अवस्था) एवं निर्विकल्प समाधि (ब्रह्म चेतना या नाड़ी की स्पंदनहीन  अवस्था) की अनुभूति प्राप्त करेगा. आध्यात्मिक गुरु परमहंस प्रज्ञानानंद जी अपने दो दिवसीय कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पटना पहुंचे एक कार्यक्रम के दौरान ये बाते उन्होंने कही.

उन्होंने आगे कहा क्रिया योग प्रविधि के छह स्तर हैं जिनके माध्यम से क्रियावान विभिन्न केंद्रों को नियंत्रित कर सकता है तथा आत्म अनुभूति प्राप्त कर सकता है. इन्हें एक आत्म उपलब्ध योगी से तथा उसके सीधे मार्गदर्शन एवं संरक्षण में सीखना चाहिए. इन छह चरणों की पूर्णता के पश्चात ब्रह्म चेतना स्वता उदय होती है तब आपका जीवन आनंद से परिपूर्ण होगा एवं परम सत्य की प्राप्ति ही हमारा लक्ष्य है. वह जन्म से मुक्ति एवं दिव्य अवस्था की अनुभूति सभी धर्मों का स्वप्न है यह हिंदुओं का मोक्ष है बौद्धों का निर्वाण एवं ईसाईयों का स्वर्ग का साम्राज्य है. ब्रह्म चेतना की अनुभूति जीवन का लक्ष्य है.

आध्यात्मिक गुरु परमहंस प्रज्ञानानंद जी के आगमन के साथ ही भक्तों में उल्लास देखने को मिला. जैसे ही गुरु जी पटना एयरपोर्ट पहुंचे इनके प्रति श्रद्धा रखने वाले भक्तों ने जमकर इनका स्वागत किया. भक्तों के स्वागत से अभिभूत होकर गुरु परमहंस प्रज्ञानानंद जी ने कहा कि वेदांत शास्त्रों में कहा गया है कि क्रिया योग वेदांत उपनिषदों एवं गीता का प्रायोगिक भाग है. क्रिया योग तीनों योगा का मेल है कर्मयोग ज्ञानयोग भक्तियोग. वेदांत के उपदेशों का सार क्रिया योग अभ्यास के माध्यम से अनुभूत किया जा सकता है. सभी योग एवं साधनों का उद्देश्य साधक को अंतर्मुखी बनाना है एवं क्रिया योग तकनीक इस प्रक्रिया को तीव्र बनाती है.

विश्व के अनेक देशों के साथ ही भारत के विभिन्न भागों में क्रिया योग के प्रसारार्थ सघन भ्रमण करते हुए  गुरु परमहंस प्रज्ञानानंद जी  दो दिवसीय क्रिया योग कार्यक्रम में भाग लेने के लिए भी पहुंचे इनके साथ समर्पणानंद जी महाराज, परिपूर्णानंद जी महाराज भी पटना पधारे हुए हैं.

भारत गांव का देश है यहां की संस्कृति पूरी तरह से गंवई माहौल पर आधारित होती है. गुरु जी इसका पूर्णतः पालन भी करते हैं. कहते हैं दुनिया में सबसे बड़ी सेवा गौ-माता की सेवा है. इसलिए हर किसी को गौमाता की सेवा करनी चाहिए. यही वो मां है जो जन्म देने वाली माता के बाद हमारा पेट भरने का काम करती है. दूध जिसे धरती का अमृत कहा जाता है, वो इसी गौ-माता से प्राप्त होती है.

समाज में अक्सर देखा जाता है कि जब तक गाय दूध देती है लोग अपने पास रखते हैं वरना उसे आवारा पशुओं की तरह विचरण करते हैं उन गाय, बैलों को अपने यहां रखने का काम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं. कहते हैं जब तक इंसान के अंदर समर्पण और सेवा का भाव नहीं वो कदापि इंसान की श्रेणी में खड़ा नहीं हो सकता है. इसलिए हर आदमी को इंसान के साथ गौ-माता की भी सेवा करनी चाहिए.
क्रिया योग के प्रवर्तक गुरु परमहंस प्रज्ञानानंद जी योग से आध्यात्म पर अपने विचारों को रखेंगे. 9-10 नवंबर को पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में अपनी वाणी से लोगों प्रेरणा देने का काम करें.

Web Title : SPIRITUAL GURU PARAMHANS PRAGYANAND JI, WHO HAS COME TO PARTICIPATE IN THE TWO DAY EVENT, SAYS BRAHMAN CONSCIOUSNESS IS THE GOAL OF LIFE

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