झारखंड: पूर्व मुख्यमंत्री सह बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य की ब्यूरोक्रेसी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि लोग इतिहास के पन्ने पलट कर देखें और सोचें कि गलत काम का अंजाम अंत में क्या होता है.
बाबूलाल ने कहा कि हेमंत सरकार के इशारे पर गलत करने वाले कुछ अफसर आजकल परेशानी में अपने-अपने संपर्क के जरिए मिलते हैं या मिलने का प्रयास करते हैं. बाबूलाल ने लिखा है कि उन अफसरों को अपने किए का भय है कि न जाने कब उनकी गर्दन दबोच ली जाए. बाबूलाल ने कहा कि ये अफसर अपनी सफाई में कहते हैं कि उनसे दबाव देकर गलत करा दिया, जिससे काफी हैरानी होती है.
मुख्यमंत्रित्व काल की घटना को किया याद बाबूलाल मरांडी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल की एक घटना भी शेयर की. उन्होंने कहा कि तब उग्रवादियों का उत्पात चरम पर था. उनकी योजना उग्रवादियों को मुख्यधारा में लाने की थी. आदिवासी बाहुल्य एक जिले में कुछ उग्रवादियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने वाले कुछ लोगों के पीछे पुलिस हाथ धोकर पड़ी थी. तब एक सीनियर पदाधिकारी को बुलाकर मैंने कहा कि वह उन्हें मुख्यधारा में लाना चाहते हैं, ऐसे में उनलोगों पर रहम करें. तब वह अधिकारी रो पड़े और बोले की सर ये बदमाश लोग हैं. मेरे से तो ये नहीं होगा. आप चाहें तो वहां से मुझे हटा दें.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ऐसे अफसर यह कहते हैं कि जब जान पर बन आएगी तो मजबूरी में सारी पोल-पट्टी खोलनी ही पड़ेगी. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे लालू प्रसाद का जमाना याद आ रहा है, जब चारा चोरी में उनके सहयोगी अफसर, दलाल, सप्लायर खुद जेल जाने लगे तो सब खुद भी डूबे और लालू प्रसाद को ऐसा डुबाया कि इतिहास बन गया. बाबूलाल ने कहा कि पिछली गलतियों का उदाहरण सामने होने के बाद भी अफसर, नेता लालच में कैसे अपना पूरा करियर दांव पर लगा लेते हैं.