झारखंड में विपक्ष एकजुट हुआ, तो सत्तारूढ़ बीजेपी को मिलेगी कड़ी चुनौती

झारखंड में बेशक अभी तक विपक्ष के घटकों के बीच महागठबंधन का फॉर्मेट और सीट शेयरिंग का फॉर्मूला नहीं तय हो पाया हो, लेकिन साल 2014 के आंकड़े ये बताते हैं कि अगर गठबंधन हुआ और जेएमएम, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस समेत जेवीएम और वाम दल ने साथ चुनाव लड़ा, तो सत्तारूढ़ बीजेपी को लगभग 12 सीटों से भी ज़्यादा पर कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. अगर पिछले विधानसभा चुनाव में विपक्ष के अलग-अलग घटकों को मिले वोटों को जोड़ दिया जाए, तो वो बीजेपी से ज़्यादा हैं.

विपक्ष के घटकों के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला और गठबंधन का खांका अभी भी साफ नहीं है और जेवीएम ने ऐलान कर दिया है कि वो सभी 81 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. वामदल ने भी 16 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हालांकि चाहे साल 2004 के लोकसभा चुनाव हों या फिर एक-आध मौके और यहां ये साबित हो चुका है कि विपक्ष की एकजुटता बीजेपी पर भारी पड़ती है.

साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सभी 14 सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था. इसके बावजूद विपक्ष के सभी घटक का एक मंच पर आना जरा मुश्किल दिखता है. गठबंधन से अलग होने पर बाबूलाल ने कहा कि उनका अनुभव ही कांग्रेस के साथ ठीक नहीं है.

राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ. वीपी शरण कहते हैं कि बीजेपी को चुनौती देने यही विकल्प है. अगर विपक्ष के गठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, जेएमएम और वामदल शामिल हो जाएं, तो बीजेपी को चुनौती दे सकते हैं. जेएमएम के कार्यकारणी की बैठक में कुछ कार्यकर्ता गठबंधन के विरोध में तो कुछ पक्ष में नजर आए. हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी 2014 की गलती को नहीं दोहराने की बात कहते हैं. उनका मानना है कि सबका प्रयास गठबंधन को जितवाने की होना चाहिए.

कांग्रेस को भी इल्म है कि साल 2014 में गठबंधन नहीं होने का कितना नुकसान विपक्ष को हुआ था और कितना लाभ बीजेपी को मिला था. इसलिए पार्टी प्रवक्ता किशोर शाहदेव हरहाल में गठबंधन को मजबूत करने की वकालत कहते हैं. हालांकि आरजेडी अब भी सम्मानजनक सीटें दिए जाने की जिद्द पर अड़ी है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह ने 12 सीट नहीं दिए जाने पर अकेले चुनाव लड़ने की बात कही है.

Web Title : OPPOSITION UNITES IN JHARKHAND, RULING BJP TO GET TOUGH CHALLENGE

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