नवरात्र में कड़ी साधना के बाद महाअभियान छेड़ सकते हैं पूर्वांचल रत्न

ज्योतिष व सनातन धर्म विरोधियों पर अपनी बेबाक राय रखने वाले पूर्वांचल रत्न डॉ धनेश मणि त्रिपाठी जल्द ही कोई बड़ा महाअभियान छेड़ सकते हैं. अपने निडर स्वभाव के लिए जाने जाने वाले पूर्वांचल रत्न का अपना एक अलग ही अंदाज हैं. इसी अंदाज व निडर स्वभाव के कारण वे धर्मविरोधियों को ललकारते व चुनौती देते रहते हैं,जिसके कारण पूर्वांचल रत्न कई बार देश के बड़े-बड़े लोगों के लिए संकट भी बन जाते हैं.

नवरात्र के विषय में उनका बयान बहुत समय से लोगों के बीच प्रासंगिक रहा हैं,जो काफी तर्कपूर्ण भी हैं. ज्योतिषधर्मगुरु डॉ धनेश मणि के अनुसार नवरात्र नौ रात्रियों का व्रत हैं. किसी कद्दावर वकील की भांति पूर्वांचल रत्न नवरात्र व्रत से इन दो शब्दों “रात्रि व व्रत” को निकालकर,इस पर जबरदस्त दलील देते हैं. पूर्वांचल रत्न इसकी विवेचना करते हुए कहते हैं - रात्रि का अर्थ “सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय के बीच के समय से हैं” तथा व्रत का अर्थ “आहार न लेने से अर्थात भूखे रहने से हैं”.  

इस प्रकार नवरात्रि व्रत का सही विधान सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक आहार न लेकर भूखे रहते हुए,नौ रात्रियों का व्रत हैं. पूर्वांचल रत्न इसके कई शास्त्रीय प्रमाण भी देते हैं. मुख्यतः तीन भ्रांतियों पर प्रहार करते हुए “दिवा नहीं रात्रि व्रत”,“व्रत का अर्थ भूखा रहना है केवल आहार के प्रकार को सही करना नहीं” तथा “तीसरा नवमी को पारण करना गलत क्योंकि व्रत नौ रात्रियों का हैं”.

विस्तृत रूप से पूर्वांचल रत्न इसकी व्याख्या करते हुए कहते हैं कुछ लोग इस व्रत को दिन में रखते हैं जबकि ये रात्रि व्रत हैं. इसके आगे वे कहते की लोग व्रत रहते हैं,ऐसा कहते हैं परन्तु उसी व्रत में एक किलो सेब,दो किलो संतरा,तीन दर्जन केला के साथ भरपूर फलाहार करते हैं. वे लोग रोज की जगह व्रत में ज्यादा खाते हैं और कहते हैं कि हम  भूखे हैं अर्थात व्रत हैं.  

आहार के तीन प्रकार-सात्विक,राजसी व तामसी बताते हुए पूर्वांचल रत्न कहते हैं कि नवरात्रि व्रत के समय राजसी,तामसी आहार की अपेक्षा सात्विक आहार फलाहार होने के कारण उनका आहार तो शुद्ध हो जाता परन्तु व्रत खंडित हो जाता हैं क्योंकि व्रत का सम्बन्ध भूखे रहने से हैं. नवरात्र के प्रथम व अंतिम रात्रि के व्रत के नाम पर अष्टमी को व्रत करके नवमी के पारण को गलत ठहराते हुए,शास्त्रानुसार पूर्वांचल रत्न दशमी के पारण को सही बताते हैं. नवरात्र के दरम्यान पूर्वांचल रत्न की अपनी विशेष साधना चलती हैं.

इस दौरान उनके दिनचर्या की जानकारी पूर्वांचल रत्न के परिवार के अलावा किसी को नहीं होती. धर्म जगत में डॉ धनेश मणि का अच्छा दबदबा होने के कारण  कई सिद्ध पीठों के महंतो व मठाधीशों से उनका मित्रवत नाता हैं. जिसके कारण कई मठाधीशों व देश के प्रमुख मंदिरों से जगदम्बा का आशीर्वाद स्वरुप नवरात्र का विशेष प्रसाद पूर्वांचल रत्न के घर गोरखपुर पहुँचता हैं.

अपने नवरात्र के इसी विधान के साथ पूर्वांचल रत्न की कड़ी साधना चलती हैं. अपने तर्क,ज्योतिष के सटीक गणित व धर्म की सही विवेचना से पूर्वांचल रत्न सनातन धर्म को परिष्कृत व सुदृढ़ कर रहे हैं,जिसका लोगों में अच्छा खासा प्रभाव भी हैं. अभी नवरात्र के बाद तथा हिन्दू नववर्ष के प्रारंभ होने के साथ मिली सूचना के अनुसार पूर्वांचल रत्न किसी महाभियान की तैयारी में हैं,जिसे वे कभी भी छेड़ सकते हैं. महाभियान किस प्रकार का हैं,इसकी जानकारी जल्द ही मिलेगी. लेकिन देखने वाली बात ये हैं कि उनकी कड़ी साधना आने वाले महाअभियान में डॉ धनेश मणि का कितना सहयोग करती हैं.

Web Title : AFTER NAVRATRI, CAMPAIGN CAN BE STARTED BY PURVANCHAL RATNA

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