3 नेताओं और 5 उपायों ने चीन को बना दिया दुनिया की आर्थिक महाशक्ति

नई दिल्ली : चीन का जिक्र होता है तो बात उसकी अर्थव्यवस्था तक पहुंच ही जाती है. लाजिमी भी है क्योंकि उसने विपरीत हालात में खुद को आर्थिक महाशक्ति के तौर पर दुनिया के सामने पेश किया है. बीते कुछ दशकों में चीन ने व्यापारिक रास्ते और निवेश लाने के लिए अपने बाजार की व्यवस्था में कई ऐसे सुधार किए जो चमत्कारी साबित हुए हैं.

चीन को आर्थिक महाशक्ति बनाने में उसके तीन नेताओं का बड़ा योगदान रहा है. इसमें माओत्से तुंग, डांग श्याओपिंग और वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल हैं. श्याओपिंग ने 1978 में जिस आर्थिक क्रांति की शुरुआत की थी, उसी के दम पर चीन आज आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है. वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी उसे मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

एक दौर था जब चीन के करोड़ों लोग गरीबी के दलदल में थे. चीन में 1950 का दशक मानवीय त्रासदी का सबसे बड़ा काल था. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के बूते माओ त्सेतुंग ने जो प्रयास किए वो भी कारगर साबित नहीं हुए. चीन की स्थिति तब और बिगड़ गई जब 60 के दशक में आए अकाल में लाखों लोगों की जान चली गई.

चीन ने वो भी दिन देखे जब उसके पास कोई व्यापारिक सहयोगी नहीं था. हालांकि 1976 में माओ की मौत के बाद डांग श्याओपिंग ने आर्थिक क्रांति की जो मुहिम छेड़ी, उसका प्रभाव अब तक है. शायद यही वजह है कि इन 40 सालों में चीन दूसरा आर्थिक महाशक्ति बनकर उभरा है.

ये हैं वो 5 बड़ी वजहें

1- जब अमेरिका-जापान में ट्रेड वॉर हो रहा था तब चीन ने अपने यहां बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री को बुलाया. इसके लिए चाइना ने स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाए, जिनमें कंपनियों को ऐसी सुविधा दी, जैसे कोई एक्सपोर्ट करने जाते हो.

2- चीन ने लोकल इंडस्ट्री को अपनी बड़ी इंडस्ट्री के साथ जोड़ा. उन्होंने बड़े पैमाने पर आरएंडडी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) के लिए उसे सपोर्ट किया.

3- जब ग्रोथ शुरू हो गई तो साइंस एंड टेक्नोलॉजी में चीन ने बड़े पैमाने पर निवेश किया. धीरे-धीरे साइंस और टेक्नोलॉजी में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के जरिए सुपरपावर बन गया.

4- चीन ने अपनी करंसी (युआन) का भी बड़ी चतुराई के साथ इस्तेमाल किया. युआन को अपनी ताकत बनाया और उससे पूरी दुनिया में चाइना के प्रोडक्ट की कॉस्ट बहुत कम हो गई और धीरे-धीरे चीन का बाजार में कब्जा होते चला गया.

5- चीन ने अपने यहां बड़े पैमाने पर मैन्यूफेक्चरिंग हब बनाए. वहां न्यूक्लियर प्लांट के साथ पटाखे जैसे छोटी चीज की बड़ी पैमाने पर मैन्यूफेक्चरिंग होती है. चीन की उत्पादन क्षमता करीब-करीब हर सेक्टर में है.

चाइना रेडियो इंटरनेशनल के मुताबिक, चीनी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक ये पेइ शिन ने हाल ही में बताया कि चीन अगले साल मंगल की खोज शुरू करेगा. शिन ने कहा कि चीन अगले साल अपना मंगल डिटेक्टर कक्षाओं में प्रक्षेपित करेगा, जो तीन वैज्ञानिक संयंत्रों से लैस होगा. इसमें एक मंगल रोवर भी सवार होगा, जो मानव की मंगल यात्रा में सर्वप्रथम है.

हाल ही में चीन में अब तक की सबसे बड़ी सैन्य परेड का आयोजन किया गया था. इसमें अधिकारी, जनता से चयनित सदस्य और 97 देशों के 188 सैन्य जवान शामिल हुए. राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने सूचना दी कि इस कार्यक्रम में 15,000 सैन्यकर्मी सहित सेना के 59 अलग-अलग विंग ने हिस्सा लिया. साथ ही 580 सेना के हथियार और उपकरणों का प्रदर्शन हुआ.

इस दौरान 160 हवाई विमानों ने भी आसमान में करतब दिखाया. इसके अलावा डीएफ-41 बैलिस्टिक मिसाइल, दो अज्ञात हवाई विमान, डीआर-8 सुपरसोनिक ड्रोन का प्रदर्शन करने भी बात कही गई थी.


Web Title : 3 LEADERS AND 5 MEASURES MADE CHINA THE WORLDS ECONOMIC SUPERPOWER

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