नामदेव समाज ने मनाई संत नामदेव की जयंती

बालाघाट. प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी मुख्यालय में निवासरत नामदेव समाज ने कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन संत नामदेव जयंती मनाकर पूजन, पाठ किया. गौरतलब हो कि प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन संत नामदेव की जयंती मनाई जाती है. नामदेव भारत के महाराष्ट्र में जन्मे संत-कवी है. संत नामदेव जी का जन्म भक्त कबीर जी से 130 वर्ष पूर्व 1270 में महाराष्ट्र के जिला सातारा के नरसी बामनी गांव में कार्तिक शुक्ल एकादशी को हुआ था. उनका परिवार भगवान विठ्ठल का परम भक्त था.

वे भगवान बिठोबा जी के अन्यय भक्त थे. कहा जाता है कि एक दिन उनके पिता बाहर गांव की यात्रा पर गए थे, तब उनकी माता ने नामदेव को दूध दिया और कहा कि वे इसे भगवान विठोबा को भोग में चढा दें. तब नामदेव सीधे मंदिर में गए और मूर्ति के आगे दूध रखकर कहा, ‘लो इसे पी लो. ’ उस मंदिर में उपस्थित लोगों ने उनसे कहा- यह मूर्ति है, दूध कैसे पिएगी? परंतु पांच वर्ष के बालक नामदेव नहीं जानते थे कि विठ्ठल की मूर्ति दूध नहीं पीती, मूर्ति को तो बस भावनात्मक भोग लगवाया जाता है. तब उनकी बाल लीला समझ कर मंदिर में उपस्थित सब अपने-अपने घर चले गए. जब मंदिर में कोई नहीं था तब नामदेव निरंतर रोए जा रहे थे और कह रहे थे, ‘विठोबा यह दूध पी लो नहीं तो मैं यहीं, इसी मंदिर में रो रोकर प्राण दे दूंगा. ’ तब बालक का भोला भाव देखकर विठोबा पिघल गए. तब वे जीवित व्यक्ति के रूप में प्रकट हुए और स्वयं दूध पीकर नामदेव को भी पिलाया. तब से बालक नामदेव को विठ्ठल नाम की धुन लग गई और वे दिनरात विठ्ठल नाम की रट लगाए रहते थे.

जिनकी जयंती कार्यक्रम में उपस्थित श्रीमती ज्योत्सना शांडिल्य ने बताया कि संत शिरोमणी नामदेव जी की 751 वीं जयंती आज समाज मना रहा है. जो भगवान बिठोबा जी के अनन्य भक्त थे. वे ऐसे कवि थे जिन्होंने हिन्दी और मराठी में काव्य रचना की थी. जनजागरण में भक्ति का भाव पैदा कर लोगों को एकता के सूत्र में पिरोकर संगठित किया. जिनकी आज जन्मजयंती पर हम सभी सामाजिक बंधु उनके बताये गये मार्गो पर चलने का संकल्प लेकर समाज की तरक्की में अपना योगदान देंगे. उन्होंने बताया कि संत शिरोमणी नामदेव जी की जयंती पर आज पूजन, पाठ और हवन, पूजन कर महाप्रसाद का वितरण सामाजिक लोगों मंे किया गया.


Web Title : NAMDEV SAMAJ CELEBRATES BIRTH ANNIVERSARY OF SAINT NAMDEV