कांग्रेस व भाजपा; दोनों की सरकार ने किया हार्डकोक उद्योग को कमजोर: बी एन सिंह

धनबाद: हार्डकोक उद्योग झारखंड का एक बड़ा रोजगार देने वाला उद्योग है और इसके चलते गरीब, आदिवासी और दबे-कुचले लोगों के एक बड़े तबके की जीविका चलती है. जब हमें भारत कोकिंग कोल द्वारा कोकिंग कोल मिलता था तब हमारा उत्पादन बहुत ज्यादा होता था और हम लौह व इस्पात उद्योग को बेहतर गुणवत्ता के हार्ड कोक की आपूर्ति करने थे. लेकिन पिछले कुछ वर्षो में पहले कांग्रेस की सरकार और बाद में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक के बाद एक नीतियों में बदलाव लाकर इस उद्योग को काफी कमजोर कर दिया. उपर्युक्त बातें इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसियेशन के अध्यक्ष बीएन सिंह ने कहीं.  

           दरअसल, हार्डकोक उद्यमियों की संस्था इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड एसोसियेशन का 88वां वार्षिक अधिवेशन बुधवार को शक्ति मंदिर रोड स्थित आइसीए सभागार में आयोजित बुधवार को आयोजित हुआ.  

        कार्यक्रम का शुभारंभ एसोसियेशन के अध्यक्ष बीएन सिंह, वरीय उपाध्यक्ष एस के सिन्हा, कनीय उपाध्यक्ष रतनलाल अग्रवाल ने दीप प्रज्वलन किया. राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर के बच्चों ने दीप-गीत प्रस्तुत किया. बैठक की सूचना रतनलाल अग्रवाल ने पढ़ा.  

   अधिवेशन का संचालन मैनेजमेंट एक्सपर्ट व आइआइटी के पूर्व प्राध्यापक डॉ. प्रमोद पाठक ने किया.  

    मौके पर इंद्रमोहन मेनन, केदारनाथ मित्तल, वाइ एन नरूला, रमेश गुटगुटिया, शंभुनाथ अग्रवाल, राकेश गुटगुटिया, अनिल सांवरिया, रामेश्वर सिंह, सच्चिदानंद, हरीश गर्ग, एस डी सिंह, बीरेंद्र सिन्हा (कैप्टन), प्रदीप चटर्जी, चिन्मय बनर्जी समेत हार्डकोक उद्योग के कई सशक्त हस्ताक्षर उपस्थित थे.  

कोल इंडिया व बीसीसीएल की नीति सही न नजरिया: 

बीएन सिंह ने मौके पर कहा कि बड़ी बाधा कोल इंडिया और भारत कोकिंग कोल की हठधर्मिता है. ये हमारे कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता हैं लेकिन इनकी नीति और नजरिया न तो तार्किक है और न ही उद्योग अनुकूल. कोयला मंत्रालय का रवैया भी हमारे प्रतिकूल ही है. कोयला वितरण नीति दिनों दिन हमारे लिये हानिकारक होती जा रही है और इसके चलते हमारे सदस्य उद्योग कोकिंग कोल आयात करने को बाध्य हैं. हालांकि सरकार कहती है कि आयात कम से कम हो लेकिन नीतियां इसके विपरीत हैं. फिर भी हमने इन सीमाओं के बावजूद प्रयास जारी रखा है और अपने उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात कर रहे हैं. यदि कोयला वितरण नीति थोड़ी भी उपयुक्त होती तो हम बेहतर प्रदर्शन करते और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में और योगदान करते. किन्तु जो स्थिति है उसमें हमारे सदस्य आयातित कोयले पर निर्भर होने को बाध्य होंगे और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.

कोयला मंत्रालय की नीतियों व कोल इंडिया के रवैये से हार्डकोक उद्योग मरणासन्न: 

अध्यक्ष श्री सिंह ने कहा कि, वित्तमंत्री ने हमारे उद्योग पर बिल्कुल ही ध्यान नहीं दिया. हमारा उद्योग एक रोजगार बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण उद्योग है और देश के विकास के लिये जरुरी है. किन्तु पता नहीं क्यों हमें केन्द्रीय नीतियों में तरजीह नहीं दी जाती. हम कोयला मंत्रालय की नीतियों और कोल इंडिया एवं भारत कोकिंग कोल के रवैये के चलते मरणासन हो रहे हैं. यह स्थिति महामारी के पहले से जारी है. लेकिन महामारी ने हमारी स्थिति और विकट बना दी. ऐसा लगता है कि कोयला मंत्रालय इस उद्योग को बचाने के लिये इच्छुक नहीं है. हमने प्रधानमंत्री से लेकर कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया तक में गुहार लगायी. लेकिन कुछ लाभ नहीं मिला. इस उद्योग को बचाना सबके हित में है. परन्तु हमें क्यों अनदेखा किया जा रहा है यह समझ नहीं आता.  

झारखंड सरकार की तारीफ की: 

अपने अध्यक्षीय संबोधन के दौरान बीएन सिंह ने झारखंड सरकार और सीएम हेमंत सोरेेन की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि, कुशल और संवेदनशील मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महामारी की दूसरी लहर का काफी प्रभावशाली ढंग से सामना किया जिसके चलते इस संक्रमण का प्रभाव काफी हद तक नियंत्रित रहा. राज्य संसाधनों के अभाव से जूझ रहा था और आवश्यकताओं को लोगों तक पहुँचाने में संघर्षरत था लेकिन कुशल योजना और प्रबन्धन के चलते नतीजे अच्छे ही मिले.

.. . . . . तभी बचेगा हार्डकोक: 

बीएन सिंह ने कहा कि, भारत सरकार इस उद्योग को बचाने की दिशा में तत्काल कदम उठाये ताकि यह सही ढंग से चले और देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में योगदन करे. यह ज्ञात हो कि हमारा  पहले हमें लिंकेज द्वारा निर्धारित कोटे की आपूर्ति होती थी जिसे बाद में ईंधन आपूर्ति करार के नाम से एक नई नीति के रूप में लाकर हमारे लिंकेज कोटे को खत्म कर दिया गया और यहीं से हमारे उद्योग की परेशानी शुरु हुई. फिर भी हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते रहे और उत्पादन ठीक-ठाक ही होता रहा. लेकिन पिछले कोई तीन वर्षो से एक और वितरण नीति लाद दी. गई जिसे लिंकेज ऑक्शन का नाम दिया गया. इसमें उद्योग जो हार्ड कोक बनाते थे उन्हें कोयला व्यापारियों के समकक्ष खड़ा कर दिया गया और नतीजा यह हुआ कि यह एक प्रकार से बेशकीमती राष्ट्रीय सम्पदा को नष्ट करने का एक मार्ग बन गया. उद्योग के लिये जिन्हें कोयला चाहिये था उन्हें कोयला मिलना मुश्किल हो गया और कुछ कोयला व्यापार से जुड़े अवांछित लोग इस पूरे नीलामी प्रकरण पर हावी हो गये. मैं एक बार फिर से यह कहना चाहूँगा कि कोयला वितरण नीति की समीक्षा हो ताकि हार्ड कोक उद्योग बच सके.  

बाहर के कोयले पर हैं निर्भर, पड़ रही दोहरी मार: 

उन्होंने कहा कि, कोकिंग कोल की आपूर्ति न मिलने की वजह से हमारे हार्ड कोक उद्योग को हल्दिया और विशाखापट्नम बन्दरगाह के जरिये आयातित कोयला मंगवाना पड़ता है. इसकी वजह से हमारे उत्पादन की कीमत बढ़ जाती है और हमारे उत्पाद महंगे हो जाते हैं. इसकी वजह से हमें दोहरी मार पड़ती है. उत्पादन की कीमत और बाजार में हमारे उत्पाद की कीमत, दोनों तरफ से हमें चोट पड़ती है. कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी अनुषंगी इकाइयां हमारी मांग को पूरा नहीं कर पाती और हमारी खपत का मात्र दस से बीस फीसदी ही आपूर्ति करती हैं. साथ ही उनके कोयले की गुणवत्ता भी सही नहीं होती और हमारा खासा नुकसान होता है. सरकार एवं कोल इंडिया को यह सोचना चाहिये कि इस उद्योग के हित में बनाई गई नीतियों से सबका फायदा है. मजदूर, उद्यमी, उद्योग एवं अर्थव्यवस्था सभी लाभान्वित होंगे. इस बात को समझने का प्रयास करना चाहिये कि आखिर कोयला कम्पनियां हमारे उद्योग को सही मात्रा और गुणवर्त्ता का कोयला क्यों नहीं देना चाहती. इससे उनका उत्पादन भी बढ़ेगा, सही उपभोक्ता को कोयला भी मिलेगा और देश पर से आयात का बोझ भी कम होगा.  

रंगदार और माफिया का वर्चस्व बढ़ा, प्रशासन है असहाय: 

हार्डकोक मुद्दे से इतर बीएन सिंह ने धनबाद के बारे में कहा कि, कानून एवं व्यवस्था आज भी शहर के हर तबके के लिये एक चुनौती है और व्यापार एवं उद्योग से जुड़े लोगों के लिये एक बड़ी समस्या. यह समझने की आवश्यकता है कि आर्थिक विकास के लिये एक शांत और भय मुक्त वातावरण जरुरी है. पिछले कुछ वर्षो में शहर में अपराध बढ़े हैं और प्रशासन असहाय दिख रहा है. यहाँ तक की न्यायिक पदाधिकारियों का भी जीवन सुरक्षित नहीं है. यही स्थिति रही तो न्याय करने में भी न्यायिक प्रणाली कमजोर पड़ेगी. रंगदारी और माफिया तत्वों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है और प्रशासनिक अधिकारी भी आशंकित हैं. इसके लिये कड़े कदम उठाने की जरुरत है.