बालाघाट. आगामी अप्रैल माह से नगरीय क्षेत्र में जलकर की राशि 60 प्रतिमाह से बढ़ाकर 120 रूपये की जाने वाली है. जिसको लेकर नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया हैं, जहां नागरिक इसे न्याय संगत नहीं बता रहे है, वहीं पूर्व नपाध्यक्ष ने इसे अमानवीय करार दिया है. उनका कहना है कि कोरोना महामारी से जूझ रही जनता पर सरकार द्वारा सीधे बोझ डाला जा रहा है, इस निर्णय को लागु किये जाने के पहले जनता को विश्वास में नहीं लिया गया और यदि जलकर में बढ़ोत्तरी की जाती है तो जनता इसका सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी.
पूर्व नपाध्यक्ष श्रीमती अनुभा मुंजारे ने जल दिवस 22 मार्च को पत्रकारों से चर्चा करते हुए जल संरक्षण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 15 सालों से नगरीय सत्ता पर राज कर रही भाजपा के कार्यकाल में शहर में पेयजल की व्यवस्था को दुरूस्त नहीं किया गया. करोड़ो रूपये की लागत से बनाये गये नये फिल्टर प्लांट भी कोई काम का नहीं है, पुराने फिल्टर प्लांट से ही एक समय पानी की व्यवस्था की जा रही है, वह भी महज पौन घंटे ही नगरवासियों को पानी दे पा रहा है. यह तो हम सबकी खुशनसीबी है कि हम वैनगंगा नदी के किनारे बसे है, अन्यथा भाजपा की नगरपालिका सत्ता में नगरवासी पानी के लिए भी मोहताज हो जाते.
पूर्व नपाध्यक्ष अनुभा मुंजारे ने कहा कि जब वह नगरपालिका अध्यक्ष थी, उस दौरान शहर के नागरिको को विश्वास में लेकर पुराने 40 रूपये से जलकर 60 रूपये किया गया था. जिसमें आम नागरिकों ने अपनी सहमति दर्ज की थी लेकिन आज जलकर में 100 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो रही है और नगरवासियों को इस बढ़ोत्तरी के लिए विश्वास में नहीं लिया गया. जो आम जनता पर सीधे बोझ डालने जैसा है, जबकि एक साल से हर कोई कोरोनो के कारण लॉक डाउन और उसके बाद अपने व्यवसाय और रोजी-रोटी के लिए जूझ रहा है, ऐसे में उन पर जलकर के रूप में शत प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का बोझ डालने अमानवीय जैसा है, जबकि सरकार को चाहिये था कि वह आम जनता को राहत देती. उन्होंने शहर की जनता से आव्हान किया कि वह जलकर की बढ़ोत्तरी के खिलाफ मुखर होकर इसका विरोध दर्ज करें. वह जनहित के विषयो में हमेशा जनता के साथ है, उन्होंने कहा कि यदि शहरवासियों पर बोझ डालने जलकर की वृद्धि होती है तो वह इसके खिलाफ सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज करेगी.