बालाघाट. कहते है कि जो हालत से समझौता कर लेते है, वह वही ठहर जाते है लेकिन जो हालातों का सामना करते है, वही मुकाम हासिल करते है, सहायक लोक अभियोजक अधिकारी (एडीपीओ) के पद पर चयनित रजनी वानखेड़े की कहानी, हालातों से समझौता करने की नही बल्कि हालातों से लड़कर पार पाने की है. जिले के वारासिवनी क्षेत्र अंतर्गत भौरगढ़ निवासी वानखेड़े परिवार की बहु रजनी वानखेड़े के पति महिला एवं बाल विकास छिंदवाड़ा में परियोजना अधिकारी के पद पर पदस्थ थे. इसी बीच दो बच्चो से परिवार पूरा हो गया था लेकिन नियति को कुछ ही मंजूर था. इसी बीच पति मनोज वानखेड़े का निधन हो गया. पति की मौत और दो बच्चों की परवरिश के बीच रजनी ने हालातो से लड़ने की ठानी और मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा सहायक लोक अभियोजक अधिकारी की परीक्षा दी. जिसका जब परिणाम सामने आया तो रजनी को 135 वीं रैंक मिली. जिससे उसका चयन सहायक लोक अभियोजक अधिकारी के पद पर हो गया है. तकलीफों से दो बच्चों की परवरिश करने के साथ ही मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग की परीक्षा को पास करके सहायक लोक अभियोजक के पद पर चयन से रजनी को जीवन मंे एक नई उड़ान मिल गई है. वह अपनी इस सफलता का श्रेय अपने स्व. पति की प्रेरणा और परिवार के लोंगो से मिले मार्गदर्शन को देती है.