प्रलोभन देकर रूपये जमा कराने वाले कंपनी संचालक की जमानत निरस्त, न्यायालय ने भेजा जेल

बालाघाट. बालाघाट जिले में चिटफंड कंपनी द्वारा लोगों की मेहनत की कमाई को कम समय में ज्यादा फायदा का प्रलोभन देकर कंपनी में लगाया, जिसके बाद कंपनी फरार हो गई. जिसमें कई निवेशकों के आज तक अपने निवेश किये गये रूपयों का इंतजार है, एक इसी तरह के मामले में आर्यारूप टूरिज्म एवं क्लब रिसोर्ट कंपनी के चेयरमेन एवं बालाघाट में कंपनी के संचालक देवेन्द्र पाठक की जमानत याचिको को निरस्त कर बालाघाट न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेश शर्मा की अदालत ने आरोपी को  जेल भिजवा दिया है. मामले में अभियोजन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी विमल कुमार सिंह ने पैरवी की थी.

मीडिया प्रभारी सहायक जिला अभियोन अधिकारी अखिल कुशराम ने बताया कि एसडीएम बालाघाट द्वारा आर्यारूप टूरिज्म एवं क्लब रिसोर्ट कंपनी के चेयरमेन एवं बालाघाट में कंपनी के संचालक देवेन्द्र पाठक एवं प्रणव पाठक के खिलाफ अपराध पंजीबद्व करने दस्तावेज थाना कोतवाली को 21 अप्रैल 2017 को दिया गया था. जांच में यह पाया गया था कि आर्यारूप टूरिज्म एवं क्लब रिसोर्ट कंपनी को बालाघाट निवासी देवेन्द्र पाठक एवं प्रणव पाठक द्वारा वर्ष 2010 से 2015 के मध्य बालाघाट के आम लोगों को लोभ एवं लुभावना झांसा देकर भोली-भाली जनता को कम समय में ज्यादा फायदा पहुंचाने का प्रलोभन देकर उनसे काफी राशि ले ली गई थी. साथ ही जांच में यह भी पता चला था कि आर्यारूप टूरिज्म एवं क्लब रिसोर्ट कंपनी के चेयरमेन एवं बालाघाट में कंपनी का संचालन कर रहे देवेन्द्र पाठक एवं प्रणव पाठक द्वारा बिना भारतीय रिजर्व बैंक से रजिस्ट्रेशन एवं सेबी से बिना अनुमति प्राप्त किये आम जनता से राशियों को जमा कराया था. एसडीएम और पुलिस की जांच में मामला सही पाये जाने पर कोतवाली पुलिस ने धारा 420 भादंवि एवं धारा 4 प्राइज चिट्स एंड मनी सरकुलेशन स्कीम एक्ट 1978 तथा धारा 6(1) मध्यप्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत अपराध पंजीबद्व कर विवेचना में लिया था.  

पुलिस द्वारा दर्ज किये मामले में आरोपी देवेन्द्र पाठक द्वारा माननीय न्यायालय में जमानत आवेदन पेश किया गया था. जिसमें सुनवाई के दौरान मामले की पैरवी कर रहे सहायक जिला अभियोजन अधिकारी विमल कुमार सिंह ने न्यायालय को बताया कि आरोपी द्वारा किया गया अपराध गंभीर एवं अजमानतीय प्रकृति का है तथा यह आम जनता के विरूद्ध छल एवं बेईमानी से संपत्ति परिदत्त करने से संबंधित है, जिससे अभियुक्त को जमानत का लाभ न दिया जायें. अभियोजन द्वारा दी गई दलीलों से सहमत होते हुए माननीय न्यायालय ने अभियुक्त का जमानत आवेदन खारिज करते हुए उसे जेल भेजने का आदेश दिया.  

Web Title : INDUCEMENT COMPANY OPERATORS BAIL REVOKED, COURT SENDS JAIL