बालाघाट. केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर भले ही जनप्रतिनिधि बड़े-बड़े दावें कर आंकड़ो को अपनी उपलब्धि बताते हो लेकिन वास्तविकता और मैदानी हकीकत यह है कि भले ही हितग्राहियों का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में आ गया हो लेकिन उसकी मिलने वाली किश्तों का संघर्ष, ना केवल उसे आर्थिक रूप से कमजोर बना देता है बल्कि मानसिक रूप से आहत करता है. जिले के शहरी क्षेत्र या फिर ग्रामीण क्षेत्र, आज भी कई हितग्राहियों को किश्तों का इंतजार है, ताकि वह अपने अधूरे पड़े आवास को पूरा कर सके. मकान अधूरा होने से वह हितग्राही या तो कच्चे मकान में निवास कर रहे है या फिर किराये का मकान में जीवन गुजारकर अपने पक्के मकान के बनने का इंतजार कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले आवास योजना की किश्त नहीं मिलने के कारण रूपझर थाना अंतर्गत कसंगी निवासी सम्मल मर्सकोले का परिवार, अधूरे प्रधानमंत्री आवास के पास कच्चे मकान में निवास कर रहा था. विगत दिनांे की तेज बारिश के कारण उसके कच्चे मकान की दिवार कमजोर हो गई थी. जिसके गिरने के कारण उसकी लगभग 55 वर्षीय पत्नी सुनीबाई मर्सकोले, चपेट में आ गई. जिसके बाद किसी तरह घरवालांे और पड़ोसियांे की मदद से उसे दीवार के मलबे से निकालकर बाहर निकाला गया और तत्काल ही एम्बुलेंस की मदद से उसे जिला चिकित्सालय लाकर भर्ती कराया गया.
परिजनों की मानें तो प्रधानमंत्री आवास योजना की किश्त नहीं मिलने के कारण अधूरे पड़े आवास के पास ही कच्चे मकान में वह रहे थे. आज सुबह सुन्नीबाई, किचन में दिवार पर रखा कोई सामान निकाल रही थी, इस दौरान ही क्षतिग्रस्त हो चुकी किचन के कमरे की दीवार गिर गई. जिसके नीचे वह दब गई. दीवार की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल सुनीबाई का जिला चिकित्सालय में उपचार चल रहा है. जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है.