आर्ट ऑफ लिविंग का गुरूपूर्णिमा पर विशेष ऑनलाईन हैप्पीनेस योग शिविर

बालाघाट. आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक सुरजीत सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि आर्ट ऑफ लिविंग संस्था द्वारा कोरोना महामारी के बीच सम्पूर्ण विश्व में ऑनलाईन मेडिटेशन और ब्रीथ वर्कशॉप हैप्पीनेस प्रोग्राम आमजनों को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य लाभ दिलाने के लिए लगातार किये जा रहे है. इसी कड़ी में गुरूपूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरूदेव परम पूज्य श्री श्री रविशंकरजी के सानिध्य में यह शिविर ऑनलाईन संसाधनों के माध्यम से 02 से 05 जुलाई तक सुबह 06. 30 से 09 बजे तक आयोजित किया गया है. जिसके तहत प्राणायाम, ध्यान, आसन एवं योग के साथ-साथ विश्व विख्यात “सुदर्शन क्रिया“ सिखाई जायेगी. जो कि दिमाग में एक गहरी शांति के साथ ही शरीर की हर कोशिका को ऊर्जा से भर देती है और शरीर की हर कोशिका शुद्ध, सक्रिय और अधिक ऑक्सीकृत हो जाती है. जो कि हमें शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ्य रखने में सहायक होती है. सुदर्शन क्रिया से तनाव के समय उत्सर्जित होने वाला हार्मोन कम होता है,खून में लैकटेट का स्तर कम होता है. हानिकारक कोलेस्ट्रॉल कम होता है मस्तिष्क को तनाव रहित करने वाला हार्मोन बढ़ता है. इससे शरीर की रोग- प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. तनाव रहित शांत मन, स्वस्थ शरीर एवं भरपूर स्फूर्ति, जीवन में आनंद एवं उत्साह, आत्मिक खोज एवं आध्यात्मिक उन्नति, चिंताओं उत्तेजनाओं एवं अवसाद से मुक्ति बेहतर भावनात्मक एवं मानवीय संबंध, बेहतर शरीरिक क्षमता, बेहतर एकाग्रता, क्रोध पर नियंत्रण जैसे लाभ होते है. साथ ही जो मानसिक तनाव से गुजर रहे है लोगों के लिए सुदर्शन क्रिया एक संजीवनी की तरह कारगर है. व्यक्ति सुख, शांति, आनंद एवं स्वतंत्रता का अनुभव सहजता से कर सके,योग हमारी हजारों वर्ष पुरानी सांस्कृतिक धरोहर एवं परंपरा है.  

योग और ध्यान आज की जरूरत है 

वर्तमान समय में जब दुनिया भर में कोरोना जैसी महामारी फैल गई है जिससे लोग तनावग्रस्त हैं, इसे दूर करने का सबसे अच्छा उपाय निश्चित रूप से योग और ध्यान है. यह अत्यावश्यक है और श्री श्री कहते हैं कि योग और ध्यान दोनों को दुनिया के सभी कोनों में पेश किया जाना चाहिये, क्योंकि इसके अत्यधिक लाभ है. गुरूदेव श्री श्री कहते हैं हम अपने जीवन में जो कोई भी कार्य करते हैं वह खुशी की तलाश में ही किया जाता है.  


Web Title : SPECIAL ONLINE HAPPINESS YOGA CAMP AT GURUPURNIMA OF ART OF LIVING