हर्रा संग्राहको को दिया गया हर्रा संग्रहण का प्रशिक्षण

बालाघाट. आदिवासी बाहुल्य विकासखंड में वनोपज पर निर्भर समुदाय को प्रशिक्षित करने प्रशिक्षक और सहायक प्रशिक्षकों ने एक दिवसीय प्रशिक्षण मंे वनोपज संग्राहकों को हर्रा संग्रहण की तकनीक से अवगत कराते हुए वनोपज का सही मूल्य मिलने की जानकारी दी गई.

ट्राईफेड द्वारा पोषित एमएफसी एवं एमएसपी योजना के तहत प्रशिक्षण का आयोजन आरण्य संवाद सदन में वनमंडलाधिकारी एस. के. तिवारी, उपवनमंडलाधिकारी एम. एस. श्रीवास्तव एवं दक्षिण लामता परिक्षेत्र अधिकारी एवं समस्त परिक्षेत्र सहायक एवं लघु वनोपज संग्राहको की मौजूदगी मंे किया गया था. प्रशिक्षण में संग्राहकों को हर्रा संग्रहण के तरीके बताये गये. प्रशिक्षण कार्यक्रम मंे प्रशिक्षक हरिओम सक्सेना ने हर्रा संग्रहण की जानकारी दी. टीएफआरई जबलपुर के वैज्ञानिक डॉ. हरिओम सक्सेना ने औषधीय गुणों से भरपूर हर्रा टर्मीनेलिया चेबुला के संग्रहण के तकनीकि की जानकारी वनोपज संग्राहकों को देते हुए बताया कि सही तरीके से हर्रा का संग्रहण करने पर संग्राहकों को सही दाम मिल सकेगा. गौरतलब हो कि हर्रा कई आयुर्वेद उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को भेजा जाता है. वनमंडलाधिकारी एस. के. एस. तिवारी ने बताया कि हर्रा संग्रहण करने वाले संग्राहकांे से उसकी खरीदी के लिए केन्द्र सरकार ने इस वर्ष न्यूनतम संग्रहण मूल्य 10 रूपये प्रति किलो अर्थात एक हजार रूपये प्रति क्विंटल घोषित किया है. इस न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राज्य सरकार ने हर्रा खरीदी का कार्या पिछले वर्षो की तरह इस बार भी प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से कराने का निर्णय लिया है. वनोपज संग्राहक अब वन विभाग के वनधन केन्द्र या अपनी दुकान में अपनी वनोपज बेच सकेंगे.  


Web Title : TRAINING OF HARRA COLLECTION GIVEN TO HARRA COLLECTORS