बंगाली सिनेमा जगत के एक युग का अंत- अजय मुखर्जी

धनबाद. आज सौमित्र चटर्जी अपनी प्राण त्याग कर बैकुंठ लोग चले गए. बंगला सिनेमा में उत्तम कुमार बाद किसी को इतनी प्रसिद्धि प्राप्त हुई वह सौमित्र जी ही थे. प्रवासी बंगाली एक झलक के लिए तरस जाते थे. सौमित्र चटर्जी के जाने से न कि बंगला सिनेमा अपितु सम्पूर्ण भारतीय सिनेमा जगत को क्षति है. ये बाते वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि अजय मुखर्जी ने कही.

उन्होंने बताया सौमित्र चटर्जी का धनबाद से भी लगाव था, वर्ष 1999 को लिंडसे क्लब द्वारा आयोजित पुस्तक मेला उनका आगमन विशिष्ट अतिथि के रूप में हुआ था. उनके आगमन के ख़बर मिलते ही लिंडसे क्लब में उनके प्रशंसकों हज़ारों की संख्या में जुट गए.  

स्टेज पर चढ़ते ही उन्होंने कुछ कविताएं का पाठ भी किया.   कोयलांचल वासी आज वही से स्मृति को याद कर रहे है. आज उनकी म्रत्यु से सब कोई शोक स्तब्ध है. उनकी कोयलांचल प्रवास की लिए स्वर्गय किशनन्दू गुप्तो के अथक प्रयास से ही हुआ था.  

धनबाद के वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि अजय मुखर्जी अपनी स्मृति साझा करते हुए कहा कि उन्होंने  अपनी कविता संकलन सेदीन लिशा सौमित्र चैटर्जी को भेंट किए थे. उन्होंने उसी वक्त दो कविता पढ़े एवं काफी सहारा. उन्होंने बोले बाकी कविता बाद में परूंगा.