आदिवासियों का प्रकृति पर्व सोहराय आज से होगा शुरू

आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार सोहराय शुक्रवार से शुरू हो रहा है. पौष मास में इस त्योहार की शुरुआत होती है. प्रकृति पर्व सोहराय मुख्यत: तीन दिनों तक मनाया जाता है. तीन दिनों में सोनोत संताल समाज ग्राम देवता, खेत-खलिहान और मवेशियों की अलग-अलग पूजा करते हैं. हालांकि अलग-अलग गांव में अलग-अलग तिथियों में सोहराय पर्व मनाया जाता है. इस बार पांच जनवरी से 14 जनवरी तक सोहराय पर्व मनाने का निर्णय लिया गया है.

मान्यता है कि प्रकृति विशेषकर पशुओं की आराधना करके आदिवासी समाज के लोग इनका सम्मान करते हैं. इनकी आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए उन्हें धन्यवाद कहते हैं. पारंपरिक ढंग से मवेशियों के रहनेवाले स्थान गोहाल घर में विधि विधान से पूजा की जाएगी. यहां मुर्गी की बलि देने की प्रथा है. सोहराय अथवा बंधना पर्व पर दामोदरपुर स्थित संताल टोला को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है. समाज के लोग अपने अपने घरों की साफ सफाई में लगे हैं. आदिवासी महिलाएं अपने-अपने घरों के बाहर पारंपरिक कलाकृतियां सजाती हैं. इस पर्व के अंतिम दिन गांव के बीचोंबीच खूंटा गाड़ कर गांव के सबसे बलिष्ठ मवेशी को बांधा जाता है और परंपरा का निर्वहन किया जाता है. अंतिम दिन जंगल में शिकार को जाते हैं.