जल संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए आगे आएं: डॉ राजेंद्र सिंह

धनबाद. वाटरमैन के नाम से प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सह जल संरक्षणवादी डॉ राजेंद्र सिंह ने कहा कि वर्तमान में पानी की हर बूंद को सहेजने की जरूरत है. सरकार को जल संरक्षण के साथ सामुदायिक विकेन्द्रित जल प्रबंधन को अपनाना होगा. यही उचित उपाय है. सरकार के अलावा समुदाय और समाज को जल संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए आगे आना होगा. उक्त बातें डॉ राजेंद्र सिंह ने बुधवार को आईआईटी आईएसएम के पर्यावरण विज्ञान इंजीनियरिंग विभाग की ओर से विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं.

फसल चक्र को वर्षा चक्र से जोड़ना होगा. डॉ राजेंद्र सिंह ने समुदाय संचालित विकेंद्रीकृत जल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए पानी के उचित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए प्रबंधन प्रणाली के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक ने हमारी धरती के पेट को खाली कर दिया है. यह भविष्य के लिए संकट पैदा कर रहा है. सिंचाई के लिए केनाल समेत अन्य तकनीक को अपनाया जा रहा है. यह ठीक नहीं है. पानी जमा करने के लिए फसल चक्र को वर्षा चक्र से जोड़ना होगा. झारखंड के परिपेक्ष्य में कहा कि यह प्रदेश शुरू से ही पानीदार रहा है, लेकिन डोभा समेत अन्य पारंपरिक उपाय से दूर हो रहे हैं. अब बाजारू उपाय से खेती हो रही है. पानी की प्रत्येक बूंद से मानव का अस्तित्व जुड़ा है. झारखंड में अंडरग्राउंड पानी की स्थिति ठीक नहीं है. वर्षा जल पूरी तरह से नीचे नहीं जा रहा है. पानी ऊपर से ही बहकर निकल जा रहा है. इस कारण जल संसाधनों का प्रबंधन करना जरूरी है. समाज को भी जिम्मेदारी लेनी होगी.

नदियों का संरक्षण जरूरी: आमलोगों के सहयोग से नदियों के संरक्षण पर भी ध्यान देना होगा. उन्होंने जैसलमेर का उदाहरण दिया, जहां 700 साल पहले से मध्य पूर्व से काफी व्यापार होता था. उस दौर में भी जल संरक्षण समुदाय संचालित व्यवस्था थी. वर्तमान में सभी प्रगति करने के बावजूद हम इसके बारे में जागरूक नहीं हैं. हमारे अपने-अपने क्षेत्रों में पानी का भंडार है, लेकिन उसकी स्थिति दयनीय है. जल संरक्षित करें. हमारे टेक्नोक्रेट्स को नए तरीकों के साथ आगे आना चाहिए. कार्यक्रम को डिप्टी डायरेक्टर प्रो. धीरज कुमार ने संबोधित किया. मौके पर डॉ अंशुमाली, पर्यावरण विज्ञान इंजीनियरिंग के एचओडी समेत अन्य मौजूद थे.