एलआईसी सिंदरी ब्रांच का भारत सरकार द्वारा पेश बजट में विनिवेश के निर्णय का राष्ट्रीय स्तर पर विरोध.

सिंदरी 04 फरबरी (सतीश चंद्र मिश्रा) : भारत सरकार द्वारा पेश बजट में विनिवेश के निर्णय का विरोध राष्ट्रीय स्तर पर *भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रत्येक शाखा कार्यालय में एक घंटे का कार्यस्थगन/Walkout /शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन सिंदरी  शाखा कार्यालय में आज भारतीय जीवन बीमा निगम के अभिकर्ता- कर्मचारी -अधिकारी -विकास पदाधिकारीयों ने एकजुट होकर किए जिनका समर्थन उपस्थित पौलिसीधारकों ने भी किए. * 
सरकार के दमनकारी नितियों का  भारतीय  जीवन बीमा निगम के सभी संगठन  ने संयुक्त मोर्चा बनाकर के पूरे भारत में विरोध का निर्णय लिया है जिसके तहत अभिकर्ता-विकास पदाधिकारी- कर्मचारी -अधिकारी के संयुक्त विरोध प्रदर्शन मे उनके साथ सिंदरी शाखा के बीमा धारक- पॉलिसी पॉलिसी होल्डर और अभिकर्ता शामिल हुए,  उन्हें पूर्ण समर्थन का वादा किए.
आज के कार्यक्रम में कर्मचारियों की तरफ से अपनी बात को रखते हुए राकेश प्रताप सिंह ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व को संसद घेराव का कार्यक्रम रखना चाहिए जिसमें कर्मचारी अधिकारी विकास पदाधिकारी अभिकर्ता अपने परिवार वालों बच्चों संग संसद का घेराव करें.
सिंदरी शाखा के शाखा प्रबंधक धर्मेंद्र कुमार  ने कहा कि जब तक सरकार इसे वापस नहीं लेती है तब तक हम लोगों को इस आंदोलन को जारी रखते हुए आंदोलन को तीव्रतर करना चाहिए.
  रजनीकांत मिश्रा जी ने कहा कि सभी लोग मिलजुलकर के लड़ेंगे तो निश्चित तौर पर सरकार की जो भारतीय जीवन बीमा निगम को बंद करने की नीति है वह सफल होगी, विनिवेश को वापस लेना पड़ेगा. अर्जुन तिवारी जी ने कहा कि भारत के वित्त मंत्री ने 1 फरवरी को भारतीय जीवन बीमा निगम को विनिवेश के लिस्ट में शामिल करने का निर्णय लिया वह भारत के इतिहास का काला दिन है. इस गलत निर्णय को सरकार को वापस लेना चाहिए.  
विकास पदाधिकारी श्याम बिहारी पाठक जी ने कहा कि यह हम लोगों के परिवार के पेट पर लात मारने जैसा है जो कि जब निगम नहीं रहेगा तो हम लोग कैसे रहेंगे इसलिए इसका विरोध पुरजोर तरीके से होना चाहिए.
मुख्य जीवन बीमा सलाहकार अभिकर्ता संघ के पुर्व मध्य क्षेत्र के अध्यक्ष प्रशांत कुमार दुबे ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि सभी लोग इमानदारी से  विरोध करेंगे तो निश्चित हिं सरकार को विनिवेश की नीति को वापस लेना  पड़ेगा. एलआईसी को जो बंद करने की नीति को  सरकार को समाज हित में वापस लेना चाहिए.   सरकार की आज की स्थिति यह है कि सरकार के पास पैसे नहीं है और पैसे लेने के लिए सरकार कुछ भी करने के लिए इतने बड़े संस्थान को बंद करने पर तुली है. यह दिवालिया घर के मालिक का व्यवहार कर रहे हैं की  घर का मालिक भोजन के जुगाड़ में  घर का सामान बेचता है,  गहना, गुड़िया बेचता है. भारतीय जीवन बीमा निगम जैसे कल्पतरु सर्वजनिक संस्थान को बंद करने की साजिश का पुरजोर विरोध एकजुट होकर के करना आज की मजबूरी है अन्यथा यह निगम नहीं रहेगा फिर हम सब कहीं के नहीं रहेंगे.
  *कर्मचारी अधिकारी विकास पदाधिकारी अभी कर्ताओं के संयुक्त आह्वान को समर्थन करते हुए पॉलिसी धारक मिलन गोपाल, बाउरी, अनिल सिंह, सरोज कुमार,  अंजनी तिवारी और सत्येंद्र चौहान ने कहा की इस नीति का विरोध करना बहुत जरूरी है क्योंकि हमारे जैसे करोड़ों पॉलिसी धारक का भारतीय जीवन बीमा निगम में अटूट विश्वास का कारण सरकारी संस्थान होना है जब भी निवेश हो जाएगा तो निजी हाथों में  करोड़ों पॉलिसी धारकों को मन में संशय रहेगा कि हमारा पैसा कहीं शेयर मार्केट की तरह डूब ना जाए इसलिए संस्थान को बचाने के लिए विनिवेश की नीति को सरकार को वापस लेना चाहिए और कर्मचारी अधिकारी विकास पदाधिकारी अभीकर्ताओं के संयुक्त 1 घंटे का वाकआउट कार्यक्रम को पूर्ण समर्थन दिए. *
    एक घंटे के शांति पुर्ण  विरोध/Walkout कार्यक्रम दोपहर 12:30 से 1:30 में उपस्थित होकर जोरदार विरोध करने वालों में प्रमुख  धर्मेंद्र कुमार,  प्रशांत कुमार दुबे,  बुद्धदेव कालिंदी कालिंदी, रजनीकांत मिश्रा, राकेश प्रताप सिंह, अर्जुन तिवारी,  कामेश्वर साव,  दिनेश कुमार, प्रदीप मरांडी,  कविता कुमारी, दिलीप विश्वकर्मा, उमेश्वर कुमार सिंह, दिलीप कुमार चटर्जी, राजेश प्रसाद, मिथिलेश कुमार,   रंजीत कुमार, प्रदीप नंदा, प्रमोद कुमार, सुजाता सिंह, इंदु देवी, प्रदीप सरदार, मृगेंद्र सिंह, ओम शंकर दुबे, उत्तम मंडल, भूपेश कुमार, मनीष कुमार, अविनाश कुमार, विकास कुमार साव,  सपन गोस्वामी, पारसनाथ पांडे, अनवर अनवर,  हुसैन शाहनवाज अंसारी, प्रेम निषाद, विनोद झा, तारा पदों सहिस, बनवाली झा, सुब्रत कुमार राय, सुनील कुमार पांडे,  अजय कुमार दास, मनोज घोष, परेश चंद्र मंडल, अनिल कुमार सिंह, पंकज सिंह राजु,  विष्णु चंद्र दत्ता, पूर्णेन्दु बनर्जी, मनिकांत झा,  प्रदीप सरदार, दिलीप सरदार ने एकजुटता का परिचय दिए.