भारतीय राजनीतिक पटल पर अमिट हस्ताक्षर थे चंद्रशेखर: एके झा

धनबाद: राष्ट्रीय मजदूर संघ के महामंत्री एके झा ने भारत के नौवें प्रधानमंत्री युवा तुर्क नेता चंद्रशेखर की 93 जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है.

महान चिंतक थे चंद्रशेखर जी   

उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर का जन्म उत्तरप्रदेश के बलिया जिले के इब्राहिम पट्टी बस्ती में 17 अप्रैल 1927 को हुआ था. उनकी शिक्षा-दीक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई थी. वे महान चिंतक विचारक लेखक एवं पत्रकार भी थे, जिन्हें देश के सामाजिक, सांस्कृतिक ऐतिहासिक परिस्थिति का बड़ा ज्ञान था. वे 1962 ईस्वी से लगातार भारत के संसद के सदस्य रहे. सिर्फ 1985 में वे लोकसभा के चुनाव को हार गए थे. इसके बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश के सम्मानित नेता चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी जी को पूर्ण सम्मान के साथ सारी सुविधाएं यथावत बरकरार रखी.  

भारतीय राजनीतिक आकाश के देदीप्यमान नक्षत्र थे

एके झा ने कहा कि चंद्रशेखर वर्ष 1990 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. वे एक प्रखर वक्ता, प्रखर सांसद, राजनीतिक मर्यादा के उच्च शिखर पर प्रतिस्थापित भारत के देदीप्यमान राजनीतिक नक्षत्र में एक थे, जिन्हें देश का हर राजनीतिक दल का नेता और कार्यकर्ता सम्मान से देखता था. संसद में वह जब भी बोलने के लिए खड़े हुए, पक्ष-विपक्ष के लोग शांति धर कर अनुशासन में रहकर उनका बात सुनते थे. इंदिरा गांधी से वैचारिक मतभेद के बावजूद वे इंदिरा जी को हृदय से सम्मान करते थे. देश की जन-समस्या पर उनकी गहरी पकड़ थी.   

भारत कभी नहीं भूलेगा इन्हें 

झा ने कहा कि उन्होंने हजारों नौजवानों को राजनीति में आने के लिए न केवल प्रेरित किया, वरन् उन्हें उचित स्थान और संरक्षण दिया उन्होंने कन्याकुमारी से लेकर दिल्ली तक भारत की पदयात्रा की भारत इस महान आत्मा को कभी भूल नहीं सकता है.

पारिवारिक स्नेह मिलता रहा 

झा ने कहा कि 1977 से लेकर वर्ष 2000 तक जीवन के अंतिम सांस तक हमें उनका सान्निध्य प्यार और सहयोग मिला झरिया के लोकप्रिय विधायक सूरज देव सिंह के साथ हमें चंद्रशेखर जी के द्वारा परिवारिक सदस्य की तरह प्यार स्नेह और विश्वास मिला. उनके साथ रहकर मैंने जीवन में बहुत कुछ सीखा है.