52 वषों बाद झरिया में उदित हुआ कांग्रेस की जीत का सूरज

झरियाः 2019 के झारखंड विधानसभा के चुनाव में बहुचर्चित सीटों में एक माना जाना वाला-झरिया में कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह ने जीत दर्ज की है. इस जीत से कांग्रेस का आधी सदी पुराना सुखाड़ खत्म हुआ. पूर्व डिप्टी मेयर स्व. नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा ने अपनी जेठानी रागिनी सिंह, जो मौजूदा विधायक संजीव सिंह की पत्नी हैं, को मात दे, यह जीत हासिल की है.  

   झरिया, झारखंड के विधानसभा चुनाव में वैसे अंगुलिगण्य सीटों में एक माना जाता था, जिनपर काफी कड़ी टक्कर थी. एक ही परिवार की दो बहुएं आमने-सामने थी. दोनों ने राष्ट्रीय दल से मैदान में खम ठोंका. पूर्णिमा नीरज सिंह कांग्रेस से, तो रागिनी सिंह भाजपा से. एक के पीछे नीरज सिंह की राजनीतिक विरासत थी, तो दूसरे के पीछे सिंह मेंशन के परंपरागत वोटों की पूंजी.

नीरज सिंह की सनसनीखेज हत्या,  संजीव सिंह का जेल जाना, विनोद सिंह हत्याकांड में रामधीर सिंह का कारागार में बंद होना, ऐन चुनाव के समय सिंह मेंशन के विश्वस्तों का बच्चा सिंह के साथ आना, पूर्णिमा सिंह का धुंआधार प्रचार जैसे फैक्टरों ने भाजपा की हार और कांग्रेस की जीत की गाथा लिखी. इस तरह झरिया के चुनावी इतिहास में कांग्रेस के नाम का अलग अध्याय जुड़ गया.

1967 में विधायक बने थे शिवराज प्रसाद 

1967 ई. में झरिया पहली बार विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया. इससे पूर्व झरिया, धनबाद विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत था. यहां पहली बार विधानसभा चुनाव 1967 में ही हुआ, जिसमें डाॅ रामटहल लाल के पुत्र एवं स्वतंत्रता सेनानी शिवराज प्रसाद ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था. प्रसाद ने 10024 वोट लाकर जनक्रांति दल के एसके राय को हराया था और झरिया का पहला विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया था.

1967 के बाद जितने भी चुनाव हुए, उसमें कांग्रेस जीत का मुंह नहीं देख पाई. 1969 में भारतीय क्रांति दल के एसके राय जीते. 1972 में राय पुनः जीते, लेकिन इस बार उन्होंने चुनाव सीपीआइ से लड़ा था.

1977 ई. में सूर्यदेव सिंह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. उसके बाद वे 1980, 1985 और 1990 में झरिया से विधायक चुने गए.

1991 में उनके निधन के बाद स्व. राजू यादव की पत्नी आबो देवी झरिया से राजद की टिकट पर मैदान में उतरीं. 1995 में एकबार फिर से आबो ने राजद की टिकट पर झरिया विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया.

2000 ई. में झरिया से बच्चा सिंह जीते, जो राज्य के नगर विकास मंत्री भी बने. वे उस समय समता पार्टी में थे. 2005 और 2009 में कुंती सिंह एवं 2014 में संजीव सिंह भारतीय जनता पार्टी से झरिया से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. अब 2019 में कांग्रेस की पूर्णिमा सिंह ने जीत का परचम लहरा कर भाजपा के विजय रथ को रोक दिया और कांग्रेस का सूखा खत्म कर दिया.