दुष्कर्म पीड़िता बच्चे के जन्म के बाद पड़ी असमंजस में

धनबाद : पीएमसीएच में वॉर्मर पर पड़ी यह नवजात परिवार की पीड़ा से अनजान है. बच्ची की माता के साथ दुष्कर्म हुआ था. पीडि़ता इसके कारण बिन ब्याही मां बन गई. जन्म के बाद से ही बच्ची बीमार है और जिंदगी व मौत से संघर्ष कर रही है वहीं इसकी मां दुःख की घड़ी में भी इस कशमकश में है कि वह बच्ची को अपनाए या नहीं.

मां आखिर मां ही होती है , पर इस मां के आगे अजीब बेबशी है , उसने बच्ची को तो जन्म दे दिया पर शायद उसे उसके पिता का नाम नही दे पायेंगी. कारण स्पष्ट है नौ माह पुर्व इस युवती के साथ दुष्कर्म हुआ था , दो हैवानो ने इस घिनौने घटना को अंजाम देने के बाद से लगातार फरार चल रहा था पुलिस के दबाब के बाद एक आरोपी ने जहां कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया तो वही दुसरा अब भी समाज से नजरे चुरा रहा है.

हम बात कर रहे है , बेकारबांध क्षेत्र के उस दुष्कर्म पीडि़ता की जो गर्भवती हो गई थी. छह सात महीने के बाद मामले की शिकायत पुलिस तक पहुंची थी. विधायक राज सिन्हा, मेयर शेखर अग्रवाल, महिला कल्याण समिति अध्यक्ष मेघना बंसल ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज कराया था. वक्त गुजरता गया, एक दिन वह मां बन गई. घर में ही एक बच्ची को जन्म दे दिया. बच्ची बीमार होने के कारण उसे पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है.

इधर इस मामले के प्रकाश में आने के बाद से लगातार नजर रख रही पुलिस महिला कल्याण समिति की अध्यक्ष मेघना बंसल आज पिडि़ता से मिलने अस्पताल पहुचीं , उन्होने बच्ची की मां से मिलकर उसका हाल जाना एवं उसकी इच्छा से भी अवगत हुई . इस मामले में उन्होने बताया किनवजात बच्चे की फिक्र है. यदि उसे उसकी मां ले जाती है तो ठीक है. नहीं ले जाती है तो अस्पताल प्रबंधन तब तक उसे रखेगा, जब तक उसे कोई गोद नहीं लेता.

रांची और गोविंदपुर की संस्थाओं से भी बात चल रही है सिर्फ मां के जवाब का इंतजार है. उस बच्चे को रखने का दबाव भी नहीं दे सकता है. उन्होने आरोपियो पर तिखे प्रहार करते हुए कहा कि जिसने यह कुकर्म किया है उसके साथ के साथ समझौता किसी किमत में नही होना चाहिए.पीएमसीएच के आईसीयू में भर्ती पिडि़ता बच्ची को रखने अथवा नही रखने पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नही ले पाई है हालाकि उसने इतना जरूर कहा कि वह बच्ची को नही रखना चाहती पर इस पर अंतिम निर्णय परीवार के लोगो को ही लेना है.


मामला प्रकाश में आने के बाद पुलिस थोड़ी बहुत चुस्त दुरूस्त नजर तो आई पर एक आरोपी के आत्म समर्पण के बाद से पुलिस सुस्त पड़ती नजर आ रही है. स्थानीय पार्षद अशोक पाल ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाये है उन्होने कहा कि पुलिस दुसरे आरोपी को गिरफ्तार करने या फिर उसे न्यायालय में आत्म समर्पण को लेकर दबाब नही बना रही.

हम अपने यहां बेटियों के जन्म पर उन्हें पहली बार लक्ष्मी के नाम से ही पुकारते हैं. लक्ष्मी आने का जश्न भी मनता है, तिलक लगता है और बधाइयां दी जाती हैं. लेकिन इस ‘लक्ष्मी’ के लिए न तो जश्न हुआ और न ही अभिनंदन. अस्पताल में उसके ननिहाल के कई लोग थे लेकिन सब खामोश, एक दूसरे को ताकते हुए. नवजात को वार्मर में रखा गया है.

वार्मर के ठीक बगल में उसकी पीडी़त मां बैठी हुई बच्चे को ही निहारे जा रही है. बहरहाल, नाबालिग ने जिस दुष्कर्मी के बच्चे को जना है अब उसका तथा बच्चे का भविष्य किस करवट बैठेगा यह तो आने वाला समय तय करेंगा पर इतना तो तय है कि समाज में घुम रहे ऐसे भुखे भेडि़यों पर कार्रवाई शख्त होनी चाहिए ताकि समाज में रहे रहे ऐसी मांसिकता वाले शबक ले सकें.


Web Title : AFTER CHILDBIRTH RAPE VICTIM CONFUSE MINDED