रूबरू : एक मुलाकात मशहूर सिनेमेटोग्राफर असीम मिश्रा के साथ

सिनेमा में सफल होने के लिए शिक्षा, हुनर व भाग्य का प्रबल होना जरूरी, आमतौर पर फिल्मी दुनिया जितनी चकाचौंध दिखती है, मुकाम हासिल करने के लिये उतना ही संघर्ष करना पड़ता है.

अगर आप में प्रतिभा, कला के प्रति जूनून और चाहत है तो मुंबई फिल्म इंडस्ट्री इसकी कद्र करता है. अगर आप फिल्म इंडस्ट्री में अपना कैरियर बनना चाहते हैं, तो आपमें शिक्षा, हुनर, व प्रबल भाग्य का होना जरूरी है. इन्ही तीन गुणों का संयोग फिल्म इंडस्ट्री में मौका दिलाता है

ये बातें मशहूर सिनेमेटोग्राफर असीम मिश्रा ने सिटी लाइव से खास बातचीत में कही. वे बजरंगी भाईजान फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग के लिये धनबाद अपने घर आए थे.

इस दौरान उन्होंने अपने दोस्तों के साथ फ़िल्म देखी तथा सलमान खान द्वारा भेजे गए बजरंगी भाई जान लिखा टी शर्ट बच्चों में बांटे. फिल्म स्क्रीनिंग के लिए उनके दोस्त अबूधाबी, बंगलुरू, दिल्ली, भागलपुर और अन्य जगहों से आए हुए थे. प्रस्तुत है बातचीत के अंश...

बजरंगी भाई जान फिल्म के बारे में कुछ बताएं

असीम मिश्रा : बजरंगी भाई जान एक पारिवारिक इमोशनल थ्रिलर फिल्म है. सलमान खान, नवाजुद्यीन सिद्दीकी, बाल कलाकार हर्षाली मल्होत्रा ने यादगार भूमिका की है. कुल 12 हजार बाल कलाकारों में से हर्षाली मल्होत्रा चुनी गयी थी. इस फिल्म की शूटिंग जहाँ कश्मीर में -14 डिग्री तापमान पर हुई वही जैसमलेर में 45 डिग्री पर की गई है.

फिल्म में दिखाया गया है कि एक पाकिस्तानी छोटी सी बच्ची भटकते हुए भारत आ जाती है. काफी मुश्किलों का सामना करने के बाद फिल्म का नायक उसे उसके मां-बाप से मिलाने में सफल होता है. बच्ची और नायक के बीच की केमेस्ट्री दर्शकों को काफी आकर्षित करती है.

 

धनबाद आकर आपको कैसा लगता है?

असीम मिश्रा : धनबाद से मुझे काफी लगाव है. धनबाद में मेरा जन्म हुआ है. स्कूली शिक्षा धनबाद स्थित केन्द्रीय विद्यालय से पूरी की. उन दिनों यह स्कूल स्टेशन के पास हुआ करता था, आजकल विनोद नगर में शिफ्ट हो गया है. धनबाद के लोग काफी मिलनसार हैं.

यहां आने के बाद बचपन की याद ताजा हो जाती है. मुंबई में लगातार काम करने के बाद थक जाता हूं तो धनबाद घर आ जाता हूं. यहां आकर आराम करता हूं, फिर वापस चला जाता हूं.

 

छोटे शहरों के कलाकार जो सिनेमा में भाग्य आजमा रहे हैं उनके बारे में आप क्या कहेंगे?

असीम मिश्रा : मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में छोटे शहरों के कलाकार भी भाग्य आजमा रहे हैं. बहुत सारे उनमें से सफल भी हैं. जिन्हें फिल्म या टीवी में मौका मिल गया है उन्हें स्थिर होकर बैठ नहीं जाना चाहिए, लगातार अपने हुनर को दिन-प्रतिदिन निखारने की कोशिश करते रहना चाहिए. आज छोटे पर्दें पर हैं कल बड़े पर्दे पर भी मौका मिल सकता है.

सही दिशा में संघर्ष करने से मिहनत रंग लाती हैं. फिल्मी दुनिया में जो भी मौका तलाश रहे हैं उन्हें उस क्षेत्र का कोर्स करके जाना चाहिए, इससे काम पाने में आसानी होगी. बिना कोर्स किए चले जाने से ज्ञान का अभाव रहता है और भटकना पड़ सकता है. फ़िल्म जगत में काम करने के लिए शिक्षित होना जरूरी है.

 

सलमान खान के साथ आपने काम किया है, उनके बारे में कुछ बतायें

असीम मिश्रा : सलमान खान के साथ फिल्म की शूटिंग करना मेरे लिए यादगार लम्हा है. परदे पर रफ-टफ दिखने वाले सलमान वास्तव में संवेदनशील और सुलझे हुए इंसान है. उनके पास अच्छे आइडिया हैं. शूटिंग के दौरान टीम के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं.

वे पूरी तरह जमीन से जुड़े इंसान हैं. पर्दे पर तो महज रोल करते हैं. सामाजिक दायित्व को वे बखूबी पूरा करते हैं. राजस्थान के मंडावा और कश्मीर में शूटिंग करते हुए उन्होंने जरूरतमंद लोगों के लिए आई कैंप लगाया.

कम ही लोगों को पता होगा कि सलमान खान एक अच्छे पेंटर भी हैं.

 

धनबाद से जुड़े होने के कारण आप बिहार और झारखंड की पृष्ठभूमि पर फिल्म बनाएंगे?

असीम मिश्रा : झारखंड और बिहार की पृष्ठभूमि पर फिल्म बनाने का इरादा है. फिल्म के विषय का चयन हो चुका है. फिल्म के विषय के बारे में अभी नहीं बताउंगा.

 

एक सफल सिनेमेटोग्राफर के रूप में आपने मुंबई में खुद को कैसे स्थापित किया?

असीम मिश्रा : धनबाद में स्कूली शिक्षा प्लस टू तक केन्द्रीय विद्यालय से पूरा करने के बाद कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से पूरी की. सिनेमेटोग्राफर का कोर्स दिल्ली में ही जिामिया मिलिया इस्लामिया से पूरा किया. कोर्स पूरा करने के बाद मैंने TV-18 ज्वाइन किया, करीब 8 वर्षों तक वहां काम किया.

उसके बाद BBC के लिए इट्स स्मॉल वर्ल्ड नामक कार्यक्रम के लिए प्रसिद्ध पत्रकार सईद नकवी के साथ काम करते हुए कई देशों में जाकर शूट किया. स्टार वर्ल्ड में ´इंडिया शो´ के लिए काम किया.

1998 में दिल्ली में हेडरूम नामक कंपनी शुरू की, जिसमें मैंने बहुत सारे डाक्यूमेंट्री, कमर्शियल शूट किया. 2005 में मुंबई चला आया.

 

मुंबई में आपको फिल्म में ब्रेक कैसे मिला?

असीम मिश्रा : दिल्ली में टीवी, डाक्यूमेंट्री और एड फिल्म करते हुए अनुभव बटोर लिया था. निर्देशक कबीर खान से मेरी पहचान कॉलेज के दिनों में हुई थी, वे जामिया में हमारे बैच के सिनियर थे. दिल्ली में भी उनके साथ काम करने का मौका मिला था.

उसके बाद वह मुंबई चले गए, मैं हमेशा उनके संपर्क में था. एक दिन अचानक मुझे उनका फोन आया और उन्होंने मुझे अपने पास मुंबई बुलाया. मैं कबीर खान का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने 2008 में अपनी फिल्म न्यूयार्क में मौका दिया और आगे बढ़ाया.

 

बॉलीवुड और हॉलीवुड सिनेमा में क्या अंतर है?

असीम मिश्रा : बॉलीवुड की फिल्में हॉलीवुड की तुलना में लो बजट की फिल्म होती है. मगर तकनीक के मामले में दोनों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है.

मैन पावर सस्ता होने के कारण इन दिनों बहुत सारे हॉलीवुड फिल्मों की एडिटिंग हमारे देश में हो रही है. आजकल बॉलीवुड सिनेमा में भी उसी कैमरे का इस्तेमाल होता है जिस कैमरे का इस्तेमाल हॉलीवुड में होता है.

बॉलीवुड सिनेमा में लगातर नए प्रयोग हो रहे हैं. आनेवाले समय में इस दिशा में और भी ज्यादा काम होगा.

 

आपने सिनेमेटोग्राफी को कैरियर बनाने के बारे में कब से सोचना शुरू किया?

असीम मिश्रा : मेरे पिता एलएम मिश्रा को फोटोग्राफी का शौक था. वे यहां डीजीएमएस में डीडीजी के पद पर कार्यरत थे. उन्हीं के कैमरे से जब भी मौका मिलता तो फोटो खींच लिया करता था. स्कूल के दिनों में मुझे फ़िल्म देखने का काफी शौक था, जब कभी भी धनबाद रेलवे क्लब में अंग्रेजी और बांग्ला की फिल्में लगती थी तो उसे देखा करता था.

बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक परवान चढ़ने लगा. आखिरकर फोटोग्राफी को ही कैरियर बनाने का निश्चय किया. दिल्ली में किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान इस शौक को जिंदा रखा.

 

आपके पसंदीदा सिनेमेटोग्राफर कौन हैं?

असीम मिश्रा : मेरे पसंदीदा सिनेमेटोग्राफर स्विडन के स्विननिक्वीस हैं. उनकी शूट की हुई फिल्मों से काफी कुछ सीख रहा हूं. वैसे सीखना कभी नहीं छोड़ना चाहिए. यह चाहत रखने से कुछ नया करने का मन करता है. सीखना छोड़ने से ही हमलोगों में ठहराव सा आ जाता हैं. सिनेमा का क्षेत्र विविधताओं और प्रयोग से भरा हुआ है. मैं भी लगातर कुछ नया करने का प्रयास करता हूँ.

 

जो लोग सिनेमेटोग्राफी में कैरियर बनाना चाहते हैं उनके लिए क्या संभावनाएं हैं?

असीम मिश्रा : सिनेमेटोग्राफी के क्षेत्र में व्यापक संभावना है. अभी डिजिटल होने के बाद काम आसान हो गया है. फोटोग्राफी में झुकाव होने पर ही इस फिल्ड में आने के बारे में सोचना चाहिए.

रूचि नहीं होने से काम बोझिल लगेगा और सफलता नहीं मिलेगी. सिनेमेटोग्राफर को पेंटिग्स व लाइटिंग की समझ होनी चाहिए.

 

लोकेशन जहाँ आप दुबारा शूटिंग करना चाहेंगें?

असीम मिश्रा : भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में मैंने फिल्मों की शूटिंग की है. मेरा सबसे पसंदीदा लोकेशन टर्की का मार्टिन और क्यूबा है. मार्टिन में एक था टाईगर की शूटिंग के दौरान सात दिनों तक हमलोग रूके थे.

 

कबीर खान के साथ आपने कितनी फिल्में की है?

असीम मिश्रा : कबीर खान के निर्देशन में बनी न्यूयार्क, एक था टाईगर, बजरंगी भाई जान फिल्में की है. उनके निर्देशन में बन रही एक अन्य फिल्म फैंटम में छायांकन का काम मैं ही कर रहा हूं.

सलमान के साथ तीन फिल्में एक था टाईगर, दबंग टू और बजरंगी भाई जान का छायांकन कर चुका हूं. इसके अलावा अन्य निर्देशकों के साथ दर्जनों फिल्म का छायांकन कर चुका हूं.

 

अपनी आने वाली अगली फ़िल्म के बारे में कुछ बतायें?

असीम मिश्रा : कबीर खान के निर्देशन में बन रही फिल्म फैंटम में सिनेमेटोग्राफी कर रहा हूं. इस फिल्म के नायक-नायिका सैफ अली खान व कैटरीना कैफ है. यह एक राजनीतिक थ्रीलर फ़िल्म है.

Web Title : AN INTERVIEW OF CINEMATOGRAPHER ASEEM MISHRA