झारखण्ड स्थापना दिवस विशेष : 15 साल में कितना बदला झारखण्ड

धनबाद : झारखंड के बने आज 15 साल हो गए है. पुरे झारखण्ड में आज स्थापना दिवस की खुशियां मनाई जा रही है. हो भी क्यों ना इन 15 सालो में कई चुनोतियों का सामना करने के बाद आज हमारा झारखण्ड पहले से कई कदम आगे जो बढा है.

15  वर्षों में झारखंड में कई स्तर के स्टेडियम बने, सड़कें बनी, पुल बने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सुधार हुआ है़. लेकिन 15 साल बाद भी कई ऐसे भी सवाल है जो अब भी अधूरे है.

 लाखों खर्च लेकिन आदिवाशियों की तस्वीर नहीं बदली

इन 15 सालों में झारखंड में काफी कुछ बदला लेकिन जिन आदिवासियों के नाम पर अलग झारखण्ड  राज्य का गठन हुआ उनकी तस्वीर नहीं बदली. हालात ऐसे हैं कि यहां आदिम जनजातियां विलुप्त होती जा रही हैं. राज्य में सबसे ज्यादा मृत्युदर इनकी है. इनकी जनसंख्या बढ़ने के बजाए घट रही है.

2001 में इन जनजातियों की आबादी 2,06,000 थी जो 2011 में घटकर 1,72,425 रह गयी है. जिन आदिम जनजातियों की आबादी घट रही है उसमें असुर, बिरहोर, बिरिजिया, कोरबा, हिल खड़िया, माल पहाड़िया, पहाड़िया सबर और सौरिया पहाड़िया जनजातियां प्रमुख हैं.

ऐसा नहीं है कि राज्य या केंद्र सरकार इन आदिवासियों की इस दशा को रोकने का प्रयास नहीं कर रही है. लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इसके बावजूद अभी भी आदिवासी ग़रीबी और भुखमरी से जूझ रहे हैं. पेट पालने के लिए ये पलायन को विवश हैं.

झारखण्ड  में ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट आदिम जनजातियों के संरक्षण के लिए कार्यरत है. इसके अलावा आदिवासी जनजाति विकास निगम सहित इस राज्य में आदिम जनजातियों की दशा और दिशा में सुधार लाने के लिए कई संगठन कार्यरत हैं.

बावजूद इसके आदिम जनजातियों की आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक विकास अवरुद्ध है, नतीजतन कई जनजातियां विलुप्त होने के कगार पर आ गई हैं.

 

15 साल में कितना विकास

इन 15 सालो में बहालियां हुई हैं, राज्य के घरेलू उत्पाद भी करीब छह गुना बढ़ा है. प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि  हुई है. गरीबी का आंकड़ा भी 45 प्रतिशत से गिर कर 37 प्रतिशत पहुंचा  है. 2001 में बीपीएल परिवार 45 फीसदी थे जो अब घटकर 37 फीसदी हो गए है. प्रति व्यक्ति आय 10345 रुपये 52147 रुपये हुआ है.

झारखंड गठन के बाद से सड़कों का निर्माण भी तेजी से हुआ है. हालांकि अभी भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां सड़क  का निर्माण नहीं हो सका है या चल रहा है.. झारखंड गठन के बाद से एनएच-33 को रांची से हजारीबाग तक फोर लेन किया गया. गोविंदपुर से साहेबगंज के बीच सड़क निर्माण कार्य अंतिम चरण में है.  राज्यभर में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है.

स्वास्थ्य सुविधाएं भी बढ़ी है. 15 सालों में पारा मेडिकल स्टॉफ व नर्सिंग की सुविधाओं का विस्तार हुआ है. नये अस्पताल  बने हैं. कई जिलों में सदर अस्पतालों का विस्तारीकरण हुआ है. रांची में सदर  अस्पताल का नया भवन बना. रिम्स में सुपर स्पेशियालिटी सुविधा आरंभ की गयी. हृदय रोगियों की पहले दूसरे राज्यों पर निर्भरता पर थी, यह अब कम हुई है.

 

जन्म दर 26.3 से घटकर 24.4 हुआ है तो वन्ही शिशु मृत्यु दर 62 से  37 फीसदी हुई है. सरकारी डॉक्टर की उपलब्धता जो 2001 में  38705 व्यक्ति पर एक थी वो अब 16450 व्यक्ति पर एक है.

15 सालो में बिजली की खपत बढ़ी है जो खपत 2001 में 550 मेगावाट थी वो अब बढ़कर 2050 मेगावाट हो गयी है. हालांकि नये पावर प्लांट की दिशा में कुछ बेहतर काम नहीं हुआ है़. 

शिक्षा की बात करे तो 2001 में प्राथमिक व मध्य विद्यालय 19000  थे जो अब बढ़कर 41 हजार  है.

वन्ही झारखण्ड की कृषि अब भी भगवान् के भरोसे है राज्य गठन के बाद झारखण्ड 10 बार सूखे की स्थिति से जूझा है. सिंचाई व्यवस्था में विकास नहीं होने के कारण औसतन 1200 से 1400 मिमी सालाना बारिश के बाद भी राज्य में जल संकट रहता है. जिसके कारण बारिस होने के बाद भी खेतो के गले सूखे रहते है.

 

 

Web Title : JHARKHAND CHANGED MUCH IN 15 YEARS