सिलिकोसिस से बचाव जरूरी : एनके शिशु

धनबाद : सिलिकोसिस एक तरह की इंडस्ट्रियल डिजीज (बीमारी) है.


 यह लंग्स डिजीज है, जो टीबी का समरूप है.


 फैक्टरी, खदान आदि में इसके लिए जरूरी सुरक्षा मानक नहीं अपनाये जाने पर वहां कार्यरत श्रमिक इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं.


 बीमारी एक बार हो गयी तो इलाज नहीं होता, इसलिए बचाव बहुत जरूरी है.


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस संज्ञान में लेते हुए विभाग को जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है.


उक्त बातें उप मुख्य कारखाना निरीक्षक, बोकारो एवं कारखाना निरीक्षक, धनबाद एनके शिशु ने कही.


 उन्होंने बताया कि सिलिकोसिस से बचाव एवं मानकों का पालन नहीं करने वालों पर जरूरी कार्रवाई के लिए जिला टास्क फोर्स का गठन किया गया है.


इसमें उपायुक्त अध्यक्ष एवं वरीय कारखाना निरीक्षक सदस्य सचिव हैं.


श्री शिशु ने कारखाना नियोजकों से अपील की है कि सिलिका युक्त मिनरल का प्रयोग अगर कारखाने में होता है तो कामगारों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए विधि सम्मत सभी उपाय सुनिश्चित करें.


 उन्होंने  कहा कि सिलिकोसिस का मुख्य कारण डस्ट है.


 सीमेंट, क्वाट्जर्, ग्राइंडिंग, स्टोन क्रशर, रिफ्रैक्टरीज एंड सिरामिक, फाउंडरी वर्क आदि में यह होते हैं.


 विभाग का उद्देश्य जागरूकता एवं श्रमिकों का कल्याण है, ताकि श्रमिकों को यह रोग न हो.


 इससे बचाव के लिए नोज मास्क, एग्जॉससिस्टम, वेंटिलेशन समेत तमाम जरूरी उपाय होने चाहिए.


 मकसद सिलिकोसिस से बचाव है.


अगर हो और मालूम चले तो प्राथमिक अवस्था में ही इलाज भी हो जाये.


 मामले में उपायुक्त की अध्यक्षता में 30 मार्च को उनके कार्यालय कक्ष में एक बैठक भी होगी.

Web Title : SILICOSIS NEED TO AVOID: NK BABY