हारे हुए दिग्गजों कि सुधि कौन ले ?

धनबाद :मोदी का तिलस्म ने राजनितिक ढांचा बदल कर रख दिया .वर्षों से जनसेवा में लगे दिग्गजों को भी चित खानी पड़ी .गली-गली ,गाँव -गाँव शहर-शहर अपने समर्थकों के साथ रात-दिन जन समस्यायों को सुनते रहें,एवं उनसे निजात दिलाने कि आश्वासन कि बात कही .लेकिन आशास्वरूप परिणाम नहीं आने के बाद उनकी राजनीति करियर को जैसे विराम लग गया तथा रातभर मंथन का दौर चलता रहा कि कहां चुक रह गयी ,जनता उन्हें क्यूँ दगा दे गयी ?.अपनी हार पर अपनी किस्मत को कोस जनता कि फैसला को स्वागत किया .उनके दरवाजे पर समर्थकों का हुजूम लगा रहा एवं अब उन्हें समर्थक आश्वासन दे रही थी .हार के बाद अब क्या ?कदाचित यही उनकी रणनीति होगी पर अभी उनकी सुधि कौन ले ?यह विचारणीय है.

Web Title : THAT TAKE CARE OF VETERANS WHO DEFEATED?

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