स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आमरण अनशन

धनबाद : सरकारी व निजी विद्यालयों की मनमानी के खिलाफ पांच सूत्री मांग को लेकर सामाजिक संस्था झारखण्ड अस्मिता जागृति मंच ने रणधीर वर्मा चौक पर सोमवार से आमरण अनशन आरंभ किया है.

अनशन पर बैठे संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह परमार ने बताया कि पहले लोग विद्यालयों को माँ सरस्वती का आंगन मानते थे.

संचालक भी छात्रों को बेहतर शिक्षा देने की मंशा रखते थे. लेकिन अब विद्यालय केवल धन उपार्जन का स्रोत बनकर रह गए हैं. शिक्षा का पूर्ण रूप से व्यवसायीकरण हो गया है.

विद्यालयों की इस मनमानी के खिलाफ उन्होंने आमरण अनशन शुरु किया है. श्री परमार ने कहा कि विद्यालयों में प्रतिवर्ष वार्षिक शुल्क, डेवलपमेंट व अन्य मद में भारी राशि वसुल कर छात्रों का भयादोहन हो रहा है.

सरकारी व निजी विद्यालयों में एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें नहीं चलाकर विद्यालय संचालक आर्थिक लाभ के लिए अपने पसंदिदा प्रकाशकों की पुस्तकें लेने के लिए छात्रों का मजबूर करते हैं.

उन्होंने कहा कि वे अनशन के माध्यम से सरकार से मांग करते हैं कि नीजि विद्यालयों में शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के मानकों को पूरी तरह से लागू किया जाए. निजी विद्यालयों में प्रतिवर्ष पाठ्यक्रम को नहीं बदला जाए तथा विद्यालयों को आयकर अधिनियम, शिक्षा अधिनियम तथा आर.टी.आई. 2005 के अंतर्गत लाया जाए जिससे पारदर्शिता बनी रहे.

अनशन में संस्था के सचिव मोइन रजा, नितुल रावल, आजसु के जिला अध्यक्ष मंटु महतो, बुद्धिजीवी मंच के जिला अध्यक्ष वंसराज कुशवाहा, रतिलाल महतो, पप्पू सिंह, हिरालाल महतो, विशाल महतो सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष श्री परमार ने धनबाद से दिल्ली तक साइकिल यात्रा की थी तथा तत्कालीन शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी से मिलकर शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए ज्ञापन भी सौंपा था.

Web Title : THE HUNGER STRIKE AGAINST SCHOOL ARBITRARINESS