दो हजार के नोट जारी करना अपने आप में प्रश्नचिन्ह - केएन गोविन्दाचार्य

धनबाद : दिगन्त पथ के 34 वें वर्षगाठ समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए जाने माने अर्थशास्त्री , संघ विचारक एवं भारत स्वाभिमान आन्दोलन के जनक केएन गोविन्दाचार्य ने पत्रकारो से बातचीत में कहा कि पांच सौ हजार के नोट का चलन बंद करने का मोदी सरकार द्वारा उठाया गया कदम भले ही सहासिक हो पर वापस दो हजार के नोट जारी करना वर्तमान सरकार के लिए अपने आप में प्रश्न चिन्ह है.

गोविन्दाचार्य ने कहा कि कालाबाजारी , रिश्वत खोरी पर अंकुश लगाने की मंशा से उठाये गये इस कदम से देश के 130 करोड़ की जनता आज परेशानी में है. जब्कि कालाबाजारी , भ्रष्टाचार और रिश्वतखौरी के कार्य में सफेदपोश नेता , बड़े -बड़े उद्यमी , नौकरशाह आदि महज 10 लाख लोग ही इस कार्य में संलिप्त है.

दो हजार के नोट के चलन के बाद रिश्वतखोरी बढ़ेगी.  दिगन्त पथ के इस 34वें वर्षगाठ समारोह में जिले के कोने -कोने से दिगन्त पथ के कार्यकर्ता उपस्थित हए थे. गोविन्दाचार्य ने अपने संबोधन में उन्हे देश के प्रति मूल कर्तव्यों से अवगत कराया साथ ही उनके मने में मानव सभ्यता को लेकर उठे कई सवालो का जवाब भी दिया. 

गौ हत्या पर गोविन्दाचार्य ने गहरा दुःख जताया है. उन्होने कहा कि आजादी के समय प्रति व्यक्ति एक मवेशी हुआ करता था आज परिस्थिति विपरित हो चुकी है सात व्यक्ति में एक ही गाय रह गया है. इस आकड़े को समानुपात बनाने के लिए सरकार को अविलम्ब गौ हत्या पर कानून लाना चाहिए साथ ही गाय का निर्यात बंद होना चाहिए.

उन्होने आगे कहा कि वर्तमान में देश के 50 प्रतिशत बचचे कुपोषण के शिकार हैं. पैतालिस करोड़ की जनता सवा डोलर से भी नीचे पर अपना गुजारा कर रहे है ऐसे में सरकार का स्मार्ट सिटी और बूलैट ट्रेन का सपना एक बेयमानी है.

Web Title : TWO THOUSAND OF THE NOTE IN QUESTION ITSELF KN GOVINDACHARYA