गुरू की कृपा से ही दिखते हैं भगवान

धनबादः पुराना बाजार स्थित श्रीशंभू धर्मशाला में हाड़ौदिया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य श्रीराजेन्द्र जी महाराज ने कहा कि परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है.

गुरू के चरण में सर्वस्व समर्पण कर भगवान का दीदार किया जा सकता है.

अपने गुरू नारद के निर्देश पर ध्रुव ने तपस्या कर बाल्यकाल में ही ईश्वर दर्शन कर लिया.

मानव अपनी दृष्टि साफ-स्वच्छ कर ले तो परमात्मा का दर्शन कहीं भी किया जा सकता है.

संत नरसी, नामदेव, तुकाराम, नानकदेव प्रह्लाद कुछ नाम हैं जिन्हें ईश्वर दर्शन करने का सौभाग्य मिला.

मनुष्य अपने अंतःकरण को सत्संग के माध्यम शुद्ध कर चराचर के स्वामी परमात्मा का अनुभव कर सकता है.

उन्होंने कहा कि भगवान के भक्त को दीन-दुखियों की सेवा, भगवान के नाम गुण का कीर्तन तथा अहंकार का त्याग कर देना चाहिए.

अहंकार के कारण ही दक्ष का विनाश हुआ था.

अजामिल अंत समय में नारायण का नाम स्मरण कर मोक्ष प्राप्त किया, अतः सोते, जागते, खाते-पिते, विचरण करते समय हरि नाम का स्मरण करना चाहिए.

Web Title : GURU IS NECESSARY FOR SPIRITUAL SEEKERS