शर्मनाक : बोरे में बांधकर शव की कई बार दुर्गति

धनबाद : अंतिम संस्कार जीवन का अंतिम पथ है. हर व्यक्ति चाहता है कि भले ही जिन्दा रहते वह कितनी परेशानियां  झेले पर उसके शव की दुर्गति न हो. भारतीय समाज ही है कि जिसमें अपनी उम्र में मरने पर पूरे बैंड-बाजे के साथ अंतिम संस्कार की परंपरा है. यदि ऐसे देश में शवों की दुर्गति होने के मामले सुनने को आएं तो यह न केवल शासन-प्रशासन नहीं बल्कि हमारे समाज के लिए शर्मसार करने वाली बात है.

सोमवार रात को धनबाद स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर ऐसा ही हुआ. मौत के शिकार बने एक लावारिस युवक के शव की मंगलवार को अंतिम संस्कार से पहले स्टेशन से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक कई बार दुर्गति हुई.

पहले तो शव को जानवरों की तरह बोरे में लपेटकर बांस के सहारे लटकाकर बाहर लाया गया. फिर रेल थाने के बाहर सड़क के किनारे रख दिया गया. शव की देखरेख के लिए भी कोई आसपास नहीं था. पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी के कागजी कार्रवाई के बाद जब शव को पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया तो वहां ताला बंद था.

सफाईकर्मियों ने वहां शव निकालकर पोस्टमार्टम हाउस के दरवाजे पर ही छोड़ दिया जंहा शव काफी देर पड़ा रहा.

पोस्टमार्टम हाउस के कर्मी आए तब शव को अंदर ले जाया गया इसके बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी हुई. और तो और सबकुछ होने के बाद शव को कफ़न तक नसीब नहीं हुआ बोरे में ही शव को लपेटकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया.

बताते हैं कि लावारिसों के अंतिम संस्कार के लिए रेलवे की ओर से काफी कम राशि दी जाती है, जिस कारण शवों की अंतिम यात्रा ऐसी शर्मनाक तरीके से की जाती है

Web Title : EMBARRASSING: SACKS SHACKLED BODIES IN TIMES OF MISERY