Special Story : अद्भुत ज्ञान पिपासु हैं सीनियर कमांडेंट डा. ए. एन. झा

धनबाद : मौजूदा दौर में अध्ययन-कार्य सफलता प्राप्ति का सोपान-मात्र रह गया है. नौकरी पाने के बाद कार्यों के दबाव, निजी व्यस्तताओं, पारिवारिक जिम्मेवारियों आदि के बीच पढ़ना मुश्किल-सा हो जाता है.

लेकिन, देश की कोयला राजधानी में एक अधिकारी ऐसे भी हैं, जो अपनी कार्य-व्यस्तता के बीच न केवल निर्बाध रूप से अध्ययन जारी रखे हुए हैं, बल्कि ज्ञान-वितरण का भी काम मुक्तहस्त से कर रहे हैं.

जी हां, रेलवे पुलिस बल के सीनियर कमांडेंट डा. ए. एन. झा एक ऐसी शख्सीयत हैं, जिनके लिए पढ़ाई का पैमाना, उनकी लगन के आगे कमतर प्रतीत होने लगा है.

अध्ययन के प्रति पक्के धुनी डा. झा का अबतक का शानदार कैरियर और उनके अंदर की मेधा इस बात की तस्दीक करती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति एवं लक्ष्य के प्रति समर्पण-भाव किसी भी बाधा के पैर जमने नहीं देती है और व्यक्ति अपनी मंजिल अंततः पा ही लेता है.

प्रतिभाओं के लिए विख्यात राज्य रत्नगर्भा बिहार के सुपौल जिले के वीरपुर में सन् 1970 ई. में जन्में डा. झा को पढ़ाई के प्रति रुचि एवं संस्कार विरासत में मिले.

पिता तीर्थानंद झा पेशे से शिक्षक थे (संप्रति सेवानिवृत्त) और वह अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए राष्ट्रपति पदक से नवाजे गए थे. मां शशिकला झा ने इन्हें अमूल्य संस्कार-बोध कराया. अग्रज सच्चिदानंद झा बिहार सरकार के वाणिज्य-कर विभाग में बतौर संयुक्त आयुक्त, सेवा दे रहे हैं. अनुज डा. मानस झा निजी क्लीनिक के माध्यम से जनसेवा में तल्लीन हैं.

कोशी माध्यमिक विद्यालय एवं कोशी उच्च विद्यालय से, अपनी प्रारंभिक से लेकर दसवीं तक की शिक्षा प्रथम श्रेणी में पास करने वाले श्री झा ने 12वीं की पढ़ाई तेजनारायण बनैली महाविद्यालय (टी.एन.बी कालेज) से पूरी की.

दिल्ली के प्रतिष्ठित रामजस कालेज से इतिहास प्रतिष्ठा के साथ स्नातक की उपाधि ली. वहीं, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल आफ लैंग्वेजेस के हिन्दी भाषा एवं साहित्य केन्द्र से परास्नातक किया. इसी यूनिवर्सिटी के स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज के सेंट्रल एशिया केन्द्र से एम.फिल किया.

अगाध परिश्रम के बल पर देश की सर्वाधिक प्रतिष्ठित यूपीएससी की परीक्षा  पास कर सन् 1999 में सेवा में आए.

नौकरी के बाद भी पढ़ने के प्रति लगन में कोई कमी नहीं आई. सन् 2005 ई. में पीएचडी के लिए दाखिला लिया और नियत समय में कोर्स को पूरा करते हुए सन् 2010 ई. में ´राजभाषा एवं रेलवे´ विषय पर पीएचडी की.

 

लेखन कला में भी हैं सिद्धहस्त

पढ़ाई की असीमित भूख रखने वाले डा. झा को लेखन-कार्य से भी विशेष प्रेम है. अपने व्यस्ततम क्षणों में से,  कुछ न कुछ लिखने के लिए समय  निकाल ही लेते हैं.

लेखन के प्रति इनका शौक इस तथ्य से परखा जा सकता है कि डा. झा पिछले दस वर्षों से रेलवे की पत्रिका में रेलवे सुरक्षा जैसे विषय पर निरंतर लिखते आ रहे हैं, जिससे न केवल पत्रिका समृद्ध हो रही है, बल्कि पाठक भी खासे लाभान्वित हो रहे हैं.

 

ज्ञान बांटना आत्मसंतुष्टि का विषय

संस्कृत के एक प्रसिद्ध श्लोक "विद्या ददाति विनयम, विनयाददाति पात्रताम, पात्रत्वात धनाप्नोति, धनात् धर्म: तत:  सुखम" की तर्ज़ पर डा. झा ज्ञान बांटने को परम आत्मसंतुष्टि का विषय बताते हैं.

कहते हैं कि अपने ज्ञान का वितरण कर लोगों को इसका अधिकाधिक लाभ देना, हर पढ़े-लिखे व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए.

 

समाधान से जुड़ना अत्यंत सुखद

धनबाद में, गरीब व जरुरतमंद छात्रों के लिए शिक्षा दान के क्षेत्र में क्रांति फैलाने वाली संस्था "समाधान" से डा. झा विगत एक वर्ष से जुड़े हुए हैं.

वह कहते हैं कि समाधान से संबंध होना बेहद आनंददायक एवं सुखद है. बच्चों के ज्ञानवर्धन करने में जो सुकून मिलता है, वह अवर्णनीय है.

उल्लेखनीय है कि कमांडेंट झा सप्ताह में एक दिन समाधान के बच्चों को अपना कीमती समय देकर पढ़ाते हैं.

साथ ही वे एक गरीब बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्च उठा रहें हैं.

Web Title : PASSION OF AN IPS DR A N JHA FOR EDUCATION