संथारा आत्महत्या नही : जैनसमाज

धनबाद : जैनसमाज की हजारों साल पुरानी प्रथा संथारा को 9 साल की सुनवाई के बाद राजस्थान हाई कोर्ट ने अपराध करार दिया है. फैसले के अनुसार संथारा लेने और दिलाने वाले दोनों पर आपराधिक मामला दर्ज होगा. इसे जैन समाज के लोग गलत फैसला कह रहे हैं. उनके अनुसार इसकी अनुमति महावीर स्वामी ने दी थी और सैकड़ों साल पुरानी प्रथा को इस तरह से खत्म नहीं करना चाहिए. इसको लेकर आज धनबाद में सैकड़ों जैनियों ने मौन जुलुस निकाल कर धनबाद उपयुक्त के पास ज्ञापन सौपा.



आत्म वॉल्वस के चेयरमैन विमल जैन ने कहा कि आत्महत्या करना गलत है, लेकिन संथारा आत्महत्या नहीं है. धर्म शास्त्रों में लिखा है कि अगर आप कोई ऐसी बीमारी से ग्रस्त हों और उसका इलाज संभव नहीं है तो आप संथारा ले सकते हैं. इलाज की तकलीफ सहने की बजाय साधना में चले जाना अच्छा है. इसे सती सिस्टम से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. अगर कोर्ट जैन धर्म की अच्छी तरह से स्टडी करता तो शायद ये फैसला आता.

जैन सभा के प्रेजीडेंट राजेश जैन ने कहा कि ये फैसला सही नहीं है. जनरल सेक्रेटरी महिंद्र जैन ने कहा कि संथारा आत्महत्या नहीं बल्कि आत्मरक्षा है. इन दोनों में अंतर हैं, जिसे हमें समझना चाहिए. बरसों से चली रही इस प्रथा को खत्म नहीं करना चाहिए. चीफ पैटर्न दर्शन कुमार भगत ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ हम कोई अहिंसात्मक प्रदर्शन नहीं करेंगे, क्योंकि हमारा धर्म शांति सिखाता है. लेकिन कोर्ट को इस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए. योगेश कुमार ने कहा कि संथारा को आत्महत्या बताना ही गलत है.






Web Title : SANTHARA IS NOT SUICIDE : JAIN SOCIETY