शरद ऋतु के बाद जब बसंत का मौसम शुरू होता है तो उसे पर्व की तरह भारत में मनाया जाता है. यह हर वर्ष माघ के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू होता है. इस दिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व हिंदू धर्म को मानने वाले लोग धूम-धाम से मनाते हैं. इस दिन से सर्दियां खत्म होने लगती हैं और बसंती हवाएं फिजाओं में अलग सा रंग घोल देती हैं.
वैसे बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा का भी महत्व है. ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा हर स्कूल कॉलेज और घरों में इस दिन विधि विधान के साथ होती है. इस बार बसंत पंचमी का त्योहार 29 जनवरी को ही पड़ रहा है. पंडित दयानंद शास्त्री बसंत पंचमी के दिन देवी पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि बता रहे हैं, आइए जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
इस बार बसंत पंचमी 29 जनवीर से शुरू होकर 30 जनवरी तक मनाई जाएगी. इस दिन पूजा करने का सबसे अच्छा मुहूर्त 29 जनवरी को सुबह 10 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा और यह 30 जनवरी को दोपहर 1 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.
विशेष योग बन रहा है
पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं, ‘वर्षों बाद बसंत पंचमी के दिन ऐसा योग बन रहा है. इस बार तीन ग्रहों का स्वराशि योग बन रहा है. इसमें मंगल वृश्चिक में गुरू धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे. इस दिन विवाह कार्यों के लिए अति शुभ माना गया है. ’
महत्व
बसंत पंचमी का दिन कई मायनों में खास है. इस दिन ऋतु तो बदल ही जात है साथ ही यह पर्व विश्व भर में अलग-अलग मान्यताओं के आधार पर बनाया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के कहने पर इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने मनुष्य योनि की रचना की थी. उस वक्त मनुष्य अज्ञानी था न तो उसके पास अपनी भावनाओं को प्रकट करने के लिए शब्द थे और न ही वह बोलना ही जानता था. तब ब्रह्मा जी ने इस स्थिति से उबरने के लिए अपने कमंडल से जल छिड़कर एक अद्भुत शक्ति को उत्पन्न किया. यह रूप में चतुर्भुजी सुंदर एक स्त्री थी. इस स्त्री के हाथ में वीणा थी.
यह शक्ति कोई और नही ज्ञान की देवी मां सरस्वती थीं. मां सरस्वती ने जब अपनी वीणा का तार छेड़ा तो तीनों लोकों में कंपन हो गया और साथ ही मनुष्य को शब्द और वाणी मिल गई. यही कारण है कि इस दिन मां सरस्वती का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का पूजन करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है. पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं कि बसंत पंचमी के दिन पवित्र नदी गंगा में नहाने की परंपरा है साथ ही इस दिन आपको ज्ञान से जुड़ी वस्तुओं का दान करना चाहिए. इस पीले रंग के कपड़े पहनने का भी महत्व है.
पूजा विधि
इस दिन शुभ मुहूर्त में लोगों को मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. मां सरस्वती की पूजा में स्नान करके पीले रंग के वस्त्र धारण करें और हल्दी से चावलों को रंग कर उनपर कलश रखें. देवी जी की तस्वीर पर पुष्पों की माला अर्पित करें और उनका पाठ करें. अगर आप पुखराज या मोती धारण करना चाहते हैं तो मां सरस्वती के आगे उसे रखें और विधि विधान से उसे इस दिन धारण कर लें. ध्यान रखें कि मां सरस्वति पर पीले फूल चढ़ाएं और पीले रंग की मिठाई का प्रसाद चढ़ाएं.