श्री योग वेदांत समिति ने मनाया मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम, बच्चों ने माता-पिता का पूजन कर लिया आशीर्वाद

बालाघाट. भारतीय संस्कृति में मातृ-पितृ पूजन का बड़ा महत्व है. हिन्दू धर्म में माता-पिता को ईश्वर समान माना जाता है. माता-पिता ही बच्चे के पहले मित्र, शिक्षक और गुरु और पहली पाठशाला होते हैं. मातृ-पितृ पूजन दिवस बच्चों को माता पिता की सेवा की भावना को प्रोत्साहित करता है.  श्री योग वेदांत समिति के सदस्य शेखर भाई ने बताया कि हिन्दू संस्कृति के अनुसार देखें तो गणेश जी ने सबसे पहले अपने माता-पिता भगवान शिव और मां पार्वती की प्रदक्षिणा कर मातृ-पितृ पूजन की शुरुआत की थी. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सभी देवताओं में प्रथम पूज्य बना दिया.

वर्तमान समय में मातृ-पितृ पूजन दिवस की शुरुआत श्री योग वेदांत समिति ने की. 2007 में सबसे पहली बार मातृ पितृ पूजन दिवस मनाया गया था. मातृ-पितृ पूजन दिवस का आरंभ देश की आने वाली पीढ़ियों को वेलेंटाइन-डे के दुष्प्रभावों से दूर रखने के लिए किया गया था. 14 फरवरी को वेलेंटाइन-डे मनाया जाता है, लेकिन यह हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है. अपितु यह पाश्चात्य देशों से भारत में आया है. भारत की संस्कृति वेद पुराणों की संस्कृति है. जहां माता पिता को ईश्वर समान माना जाता है. मातृ-पितृ पूजन दिवस के अनुसार इस दिन प्रेमी प्रेमिका को नहीं अपितु अपने माता-पिता को उनके बलिदान के लिए प्यार जताना चाहिए. इससे माता पिता से संबंध प्रगाढ़ होते हैं. बालाघाट में भी श्री योग वेदांत समिति की ओर से स्थानीय सिंधु भवन में मातृ-पितृ पूजन का आयोजन किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों ने अपने माता पिता का पूजन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया. इस मौके पर वरिष्ठ समाज सेवी एवम पूज्य सिंधी पंचायत अध्यक्ष रमेश रंगलानी ने इस कार्यक्रम के आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि आने वाले समय में कार्यक्रम को वृहद रूप से मनाया जाएगा.


Web Title : SHRI YOGA VEDANTA SAMITI CELEBRATES MATRI PITRU PUJAN PROGRAM, CHILDREN WORSHIP PARENTS