रानी को प्रशासन मुहैया करायेगा स्वरोजगार करने समूह के स्टॉल, कलेक्टर ने दिलाया भरोसा

बालाघाट. राजा से रानी बनी किन्नर रानी दमाहे की कहानी, संघर्ष को बयां करती है, जहां पहले मां ने बेटी के किन्नर होने की जानकारी के बाद उसका साथ देकर संघर्ष किया, वहीं अब रानी किन्नर, रोजगार के माध्यम से आम किन्नरों की तरह नहीं बल्कि आत्मनिर्भर होकर अपनी अलग पहचान बनाना चाहती है. उच्च शिक्षा हासिल कर रही किन्नर रानी दमाहे की कहानी मीडिया में आने के बाद से वह सुर्खियो में है.  

देश में आज भी जनसंख्या का वह वर्ग उपेक्षा का शिकार है जिन्हें ट्रांसजेंडर कहा जाता है. हालांकि इसके लिए हाल ही में प्रदेश सरकार ने इन्हंे ओबीसी वर्ग में शामिल किया है.  तो वहीं भारत सरकार ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार का संरक्षण) अधिनियम, 2019 को ट्रांसजेंडर व्यक्ति को रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के मामलों में भेदभाव के खिलाफ निषेध प्रदान करने के लिए अधिनियमित कर कानून बनाया और ट्रांसजेंडर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए कल्याणकारी उपाय अपनाए.  

वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की कुल आबादी में ट्रांसजेंडर की तादाद करीब 4,87,803 है, जिसमें छह साल से कम उम्र के बच्चों की आबादी 54,854 है. यूँ तो सरकार ट्रांसजेंडर समुदाय के उत्थान के लिए प्रयास किये जाने के दावे करती है लेकिन आज भी ट्रांसजेंडर समाज की मुख्य धारा से जुड़ नहीं पाए हैं. समाज में समान अवसर पाने की चाह लिए ट्रांसजेंडर रानी दमाहे बालाघाट कलेक्टर कार्यालय पहुंची और रोजगार मुहैया कराए जाने की गुहार लगाई.

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की भरवेली ग्राम पंचायत में रहने वाली रानी दमाहे ट्रांसजेंडर हैं. जिसके जन्म के बाद परिवार ने बड़े प्यार से उसका नाम राजा रखा गया था लेकिन जन्म के करीब 8-9 साल बाद उसके ट्रांसजेंडर होने के कारण वह राजा से रानी बन गई. परिवार में तीसरी और छोटी संतान रानी जन्म के कुछ सालों बाद ही अवहेलना और उपेक्षा का शिकार होने लगी, रानी के पिता ने रानी उसकी दो बहनों और पत्नी ममता को उनके हाल पर छोड़ दिया, परिवार के सदस्यों और परिजनों ने रानी से सारे रिश्ते तोड़ दिए, लेकिन मां ने अपने हौसले नही टूटने दिये और रानी के लिए अपने सभी रिश्तेदारों को त्याग दिया.  

रानी के विषय में बातचीत करते हुए माँ ममता दमाहे ने बताया कि उनकी 3 संतानों में रानी सबसे छोटी है, उसके जन्म के लगभग 8-9 साल बाद उन्हें ये एहसास हुआ कि रानी ट्रांसजेंडर है. परिवार वालों ने रानी को स्वीकार नहीं किया ना ही कोई सपोर्ट किया लेकिन समाज की उलाहना के बावजूद ममता दमाहे ने रानी को त्यागा नहीं बल्कि बेहतरीन परवरिश दी और अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाई जिसके फलस्वरूप रानी फिलहाल बीएससी स्नातक की पढ़ाई कर रही है.  

किन्नर समुदाय में रानी शनाया के नाम से जानी जाती हैं. समाज की मुख्य धारा में जुड़कर रोजगार पाने की लालसा रखने वाली रानी ने जिला कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शासन की योजनाओं के तहत मिलने वाली सुविधाओं का लाभ दिलाये जाने की मांग की. रानी ने कहा सामान्य नागरिक की तरह सम्मान और समान अवसर मिले ताकि किन्नर समुदाय सम्मानपूर्वक जीवन जी सके.  


इनका कहना है

रानी को आगे पढ़ाई के लिए कहा है, यदि वह काम करना चाहती है तो उसे स्वरोजगार करने के लिए समूह के स्टॉल उपलब्ध करायेंगे.  

डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा, कलेक्टर


Web Title : THE ADMINISTRATION WILL PROVIDE SELF EMPLOYMENT GROUP STALLS TO RANI, THE COLLECTOR ASSURES