उमस बढ़ा सकती है धान फसल में भूरा माहो का प्रकोप, भूरा माहो के नियंत्रण के लिए किसानों को सलाह

बालाघाट. पूर्व में हुई बारिश व मौसम में उपस्थित आर्दता-उमस धान में इस समय आने भूरा माहो के लिए अनुकूल परिस्थिति का निर्माण कर रही है. इस दशा को देखते हुए किसान भाईयों को अपनी धान फसल का सतत् निरीक्षण करते रहना चाहिए. कृषि विभाग के उप संचालक सी. आर. गौर, कृषि महाविद्यालय मुरझड के डॉ. उत्‍तम बिसेन, कृषि विज्ञान केन्‍द्र बडगांव के डॉ. आर. एल. राउत एवं कृषि अधिकारियों की संयुक्‍त टीम द्वारा लालबर्रा, बालाघाट एवं किरनापुर ब्‍लॉक के गांवों में इस कीट से प्रभावित फसल का निरीक्षण किया और पाया कि धान फसल में भूरा माहु का प्रकोप शुरूवाती चरण में है. ऐसी स्थिति में भूरा माहो के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को सलाह दी गई है.

उप संचालक कृषि श्री गौर ने बताया कि प्रारंभ में धान फसल की पत्तियां गोल घेरे में पीली पडने लगती है और कुछ ही दिनों में भूरा माहो कीट द्वारा तने से पौधे का रस चुसने के कारण पौधा गिरने लगता है ऐसे खेत में गोल घेरे बनने लगते है जिसे हापर बर्न कहा जाता है, बाद में पूरा खेत माहो द्वारा सूखा दिया जाता है. इस कीट की नीम्‍फ व एडल्‍ट दोनों ही अवस्‍था पौधों को हानि पहुंचाती है और इनकी प्रजनन दर उमस के कारण ज्‍यादा होती है.

जिन किसान भाईयों के खेतों में इस कीट का आक्रमण नहीं हुआ है या एक-दो कीट दिखाई दे रहे हैं, वे देशी काढा स्‍वयं निर्मित जिसमें 05 लीटर मठा-मही, 05 किलो नीम की पत्‍ती को 10 दिन सडाकर 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड की दर से सुरक्षात्‍मक रूप से छिड़काव कर सकते है. इसी प्रकार एक लीटर नीम का तेल 3000 पी. पी. एम. वाला के साथ 30 ग्राम हींग का छिडकाव 150 से 200 लीटर पानी के साथ एक एकड खेत में कर सकते है. कुछ किसान भाईयों को इसके बहुत ही अच्‍छे परिणाम मिले है. अगर फसल में भूरा माहों कीट का प्रकोप हो गया है तो किसान भाई फसल बचाने के लिए रासायनिक दवाईयों का उपयोग कर सकते है, परंतु दवा का चयन, मात्रा एवं विधि का उपयोग बहुत अच्छे से करें क्योंकि कई बार यह कीट दवा से बचने के बाद उग्र रूप ले लेता है.

भूरा माहो कीट धान फसल में बाली निकलने के 12-15 दिन पहले से लेकर धान कटते तक आता है, बाली झुकने के पहले अगर यह कीट आ गया तो इमिडा क्‍लोप्रिड 17. 8 प्रतिशत या थायोमेथाक्‍जाम 25 प्रतिशत का 100 मि. ली. ग्राम या थायोमेथाक्‍जाम 30 प्रतिशत का 200 मि. ली. प्रति एकड की दर से छिडकाव करें. परंतु बाली झुक गई उसके बाद यह कीट आपकी फसल को हानि पहुंचा रहा है तो बुफरोफेनजिन 350 मि. ली. या डाइटेपुरान या पाईमेट्रोजिन 100 से 120 ग्राम या एसीफेट 300 ग्राम प्रति एकड डाल सकते है. उपरोक्‍त दवा अन्‍तप्रवाही है, इसलिए इन के साथ कुछ किसान भाई एक सं‍पर्क कीटनाशी जैसे क्‍लोरोपायरीफास या क्विनालफास या लेम्‍डा सायलोप्रिन 300 मि. ली. प्रति एकड भी डाल सकते है. दवा डालने के पूर्व बांस की सहायता से खेत में रास्‍ता बना ले, जिससे दवा पौधों के तने पर पडे. क्योंकि माहो सिर्फ तने से रस चूसता है व पूरे खेत में दवा एक समान गिरेगी.


Web Title : BROWN MAHO OUTBREAK IN PADDY CROP MAY INCREASE HUMIDITY, ADVISES FARMERS TO CONTROL BROWN MAHO