जिले में मिले पहले ब्लैक फंगस मरीज की मौत,लांजी के युवक ने तोड़ा दम, प्रोटोकॉल के तहत किया गया अंतिम संस्कार

बालाघाट. कोरोना के संक्रमण क साथ-साथ ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. कोविड से रिकवर हो चुके लोगों को ब्लैक फंगस की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. जिसके कारण नाक के माध्यम से होने वाली इस बीमारी का जहां महंगा ईलाज है, वहीं इससे मौत के मामले भी सामने आ रहे है. नाक के माध्यम से प्रवेश करने वाली इस बीमारी का सीधा असर आंखों पर पड़ता है, फिर यह बढ़कर दिमाग तक पहुंचती है और समय पर ईलाज नहीं मिलने से इससे पीड़ित मरीज की जान तक जा सकती है. अब तक यह बीमारी महानगरों में भी सामने आई थी, लेकिन 19 मई को जिले में ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) का एक पहला मामला सामने आया है. हालांकि इससे पूर्व भी जिले के कुछ लोग, ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) से पीड़ित बताये जा रहे थे, लेकिन उन मरीजों के अन्यत्र ईलाज कराने से इसका आंकड़ा प्रशासन के पास नहीं था, किंतु बीते दिवस लांजी क्षेत्र के आये एक मरीज का पहला प्रकरण जिला स्वास्थ्य विभाग के पास आया है, हालांकि ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) से पीड़ित मरीज की कोविड अस्पताल में बीती रात्रि मौत हो गई.  

जानकारों की मानें तो इस फंगल का खतरा लो इम्यूनिटी वालों को सबसे अधिक है. म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. आमतौर पर यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है. जो धीरे-धीरे आंखो तक फैलता है.

पहले कोविड से बीमार, फिर ब्लैक फंगस

बताया जाता है कि लांजी क्षेत्र के ग्राम बिसोनी निवासी 31 वर्षीय शेषराम कुचलाहे में 15 मई को कोविड हुआ था, जिसके बाद वह गोंदिया के एक निजी अस्पताल में भर्ती था. इस दौरान ही वहां उसे ब्लैक फंगस होने के कारण उसे नागपुर में ईलाज कराने की सलाह निजी चिकित्सालय द्वारा दी गई थी. संभवतः आर्थिक हालत के कारण वह नागपुर नहीं जा सका. जिसके बाद 19 मई की रात उसे लांजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां मरीज में ब्लैक फंगस होने से उसे जिला चिकित्सालय रिफर कर दिया गया था. बालाघाट पहुंचे मरीज को गोंगलई कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जिसकी रात में मौत हो गई. स्वास्थ्य प्रबंधन ने कोविड के बाद ब्लैक फंगस से पीड़ित शेषराम कुचलाहे की मौत के बाद उसका प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार कर दिया गया.  

4 दिन मंे हो गई मौत

बताया जाता है कि 15 मई को कोविड के कारण उसे गोंदिया के जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. जहां उसमें ब्लैक फंगस की पहचान होने पर उसे नागपुर ले जाने की सलाह दी गई थी. परिजन उसे वहां न ले जाकर लांजी अस्पताल लेकर आये थे. जिसके बाद उसे बालाघाट कोविड अस्पताल लाया गया था. जहां उसकी मौत हो गई. चार दिन में कोविड बीमारी से पीड़ित ब्लैक फंगस होने के बाद मौत को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है. चूंकि इसका ईलाज महंगा होने के साथ इसकी दवाओं को लेकर भी अभी पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है.  

बीएमओ से मांगी गई मृतक मरीज की जानकारी

चार दिनो में कोविड के बाद ब्लैक फंगस होने से मरीज मौत के बाद अब अस्पताल प्रबंधन ने मरीज की जानकारी को लेकर बीएमओ से रिपोर्ट मांगी है. चूंकि मरीज के पास इससे पहले की जांच के कोई कागजी जानकारी नहीं होने से अभी चिकित्सक भी कोई राय नहीं दे पा रहे है. हालांकि संभावना जताई जा रही है कि कोविड की पहचान के पूर्व बुखार आने के दौरान मरीज ने कहीं ईलाज कराया होगा और कोई दवा खाई होगी. बहरहाल स्वास्थ्य प्रबंधन ने बीमएओ लांजी को मरीज की जानकारी लेने के लिए निर्देशित किया है.


इनका कहना है

कोविड ईलाज के दौरान ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज लांजी के बिसोनी ग्राम के 31 वर्षीय व्यक्ति को 19 मई की रात्रि गोंगलई कोविड सेंटर में भर्ती कराया गया था. जहां उसकी मौत हो गई है. जिसका प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार कर दिया गया है. यह जिले का पहला मामला है, चूंकि मरीज के साथ किसी परिजन और ईलाज से संबंधित कागजी दस्तावेज नहीं होने से मरीज की बीमारी की जानकारी को लेकर बीएमओ को निर्देशित किया गया है कि वह इसकी जानकारी प्रदान करें. मरीज के आंख, नाक और चेहरे में इंफेक्शन था.

डॉ. अजय जैन, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल 


Web Title : FIRST BLACK FUNGUS PATIENT KILLED IN DISTRICT, LANJI YOUTH BREAKS DOWN, FUNERAL PERFORMED UNDER PROTOCOL