क्विंटलो से तालाब में मछलियो की मौत, एक-दूसरे से काम कराते बीत गए दिन, बदबू से परेशान नागरिकों ने बंद घर में बिताई रात, भटेरा पंचायत के विवादित आमा तालाब का मामला

बालाघाट. शहरीकरण के बढ़ते दौर में पंचायतो की सीमाओं तक नगरीय क्षेत्र में लोगों का निवास बढ़ गया है. भले ही रहवासी, नगरपालिका क्षेत्र में निवास करते हो, लेकिन आज भी यहां के जलस्त्रोत, तालाब की संपत्ति  पंचायत क्षेत्र में ही है. बात करें नगरीय क्षेत्र के वार्ड क्रमांक बूढ़ी के माता मंदिर के पास, एक निजी लॉन के पीछे निवासरत लगभग दो दर्जन से ज्यादा परिवारों के निवास के पास स्थित आमा तालाब है, जो भटेरा पंचायत में आता है, बताया जाता है कि इस तालाब के ठेके को लेकर पंचायत और समिति में विवाद है, हालांकि यह दूसरा मामला है, इस तालाब में विगत तीन दिनों से मछलियों के मरने का सिलसिला लगातार जारी है, जिससे साफ है कि यहां किए जाने वाले मत्स्य पालन की देखरेख, सब भगवान भरोसे है, तालाब में मछलियों के मरने की तीन दिनों से चले आ रहे सिलसिले के दौरान, जब मछलियों की दुर्गंध बढ़ी तो आसपास निवासरत लोग, परेशान हो उठे. क्षेत्रीय वार्ड पार्षद प्रतिनिधि अनिल सोनी की मानें तो गत 28 मार्च की शाम, रहवासियों से इसकी जानकारी मिली. जिसकी विधिवत सूचना, मत्स्य कार्यालय को दी गई. जिसके बाद मत्स्य कार्यालय ने पंचायत को तालाब में मरी मछलियों के निष्पादन के निर्देश दिए है, हालांकि तीन दिनों तक तालाब में मछलियों के मरने की घटना के बावजूद गंभीरता नहीं दिखाया जाना, समझ से परे है और जानकारी मिलने के दिन बीत जाने और दूसरे दिन की दोपहर तक भी मृत, मछलियों को तालाब से निकालने की प्रक्रिया प्रारंभ तक नहीं हो सकी थी.  

जिससे रहवासी, दूसरे दिन भी बदबू से परेशान होकर घर को बंद करके रखा. बताया जाता है कि इस मामले में मत्स्य पालन के आदेश और पंचायत की मछलियों को निकालने हो रही देरी की प्रक्रिया पर स्वयं, पार्षद प्रतिनिधि अनिल सोनी, नेता प्रतिपक्ष के साथ भटेरा पंचायत गए, जहां सरपंच भौरसिंह मोहारे ने मिलकर, समस्या से अवगत कराया. जिसे सरपंच ने भी गंभीरता से लेते हुए इसके निदान के प्रयास प्रारंभ कर दिए.  

पार्षद प्रतिनिधि अनिल सोनी ने बताया कि तालाब को खाली किया जा रहा है, चूंकि तालाब का पानी गंदा हो गया है और मृत मछलियों को भी निकाला जा रहा है. एक जानकारी अनुसार, देरशाम तक यह काम जारी था. बताया जाता है कि यहां बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हुई, जिसकी वजह तालाब के अंदर पल रही मछलियों को ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण बताई जा रही है, चूंकि तालाब को जलकुंभी ने भी घेर रखा है. जो दर्शाता है कि सबसे बड़े मछली उत्पादन वाले, जिले में इस तरह से क्विंटलो में मछली के मरने के बाद भी विभाग की गंभीरता समझ नहीं आता है.  


Web Title : FISH DIE IN POND FROM QUINTALO, DAYS SPENT WORKING WITH EACH OTHER, CITIZENS TROUBLED BY STENCH SPENT NIGHT IN CLOSED HOUSE, CASE OF DISPUTED AMA POND OF BHATERA PANCHAYAT