हमारा भी घर बना दो सरकार, काम पर जाये या नगरपालिका के चक्कर काटे, आखिर इन गरीबों को कब मिलेगा आवास योजना का लाभ

बालाघाट. काम पर जाये या नगरपालिका के चक्कर काटे, जब-जब भी नगरपालिका जाते है, तब-तब बाबु और अधिकारी कहते है कि तुम्हारा काम हो जायेगा, लेकिन सालों से आवेदन के बाद भी हमें आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है. यह कहानी है झुग्गी बस्ती में निवासरत गरीब परिवार से संबंध रखने वाली प्रमिलाबाई मानेश्वर, किरणबाई गुर्जर, परदेशी पांचे जैसे कई गरीब परिवारों की, जिन्हे नगरपालिका के सालो चक्कर काटने के बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है. ऐसा केवल इन्हीं के साथ नहीं हो रहा है बल्कि उन गरीबों को भी सालों बीत जाने के बाद अब तक आवास योजना की किश्त नहीं मिल सकी है, जिनका आवास स्वीकृत हो गया है और तो कई ऐसे भी है, जिन्हंे पहली दूसरी तो किश्त मिली लेकिन इसके बाद की किश्त के लिए वह नगरपालिका के चक्कर काट रहे है. जबकि कथित अपत्राताधारियों ने प्रधानमंत्री आवास योजना से अपने भवन को ऐसा बना लिया है, जैसे की वह बंगला हो, जिससे ही साफ नजर आता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना की उन्हें जरूरत तो नहीं थी, लेकिन कृपापात्र होने से उनका आवास योजना में बंगला खड़ा करा दिया.

नगर के झुग्गी झोपड़ी में निवासरत प्रमिला मानेश्वर अपने कवेलु के कच्चे मकान में पॉलिथिन डालकर परिवार के साथ रहती है. बनिस्मत ऐसी ही स्थिति घरेलु काम कर जीवनयापन करने वाली किरणबाई गुर्जर की भी है. युवक परदेशी पांचे की स्थिति उसका घर बयां करता है, एक धक्के से उसका कच्चा मकान भरभराकर कभी भी गिर सकता है, इस बरसात में उसका मकान अतिवर्षा सह पायेगा कि नहीं, यह भी एक बड़ा सवाल है. बावजूद इसके, इन्हें नगरपालिका के चक्कर काटते सालों हो गये लेकिन इन्हें अब तक आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है.  

जिसको लेकर झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष मकसुद खान का कहना है कि नगरीय क्षेत्र में केवल और केवल झुग्गी झोपड़ी में लगभग 400 गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिलना था लेकिन हालत यह है कि इन गरीब परिवारों को मिलने के बजाये अपत्राताधारी बड़े लोगों को पहले पाओ की तर्ज पर नगरपालिका ने राशि तो दे दी लेकिन गरीब परिवारों को राशि नहीं मिली. जिन्हें एक-दो किश्त मिली है, उन्हें भी सालों बाद तक पूरी राशि नहीं दी जा सकी है. हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन गरीबों परिवारों को आवास योजना का लाभ पहले प्रदान किया जायें, जो वाकई में जरूरतमंद है, लेकिन नगरपालिका में ऐसा नहीं हो रहा है, यहां कृपापात्र, अपात्रताधारी को पहले लाभ प्रदान किया जा रहा है जबकि पात्रताधारी गरीबों को आश्वासन की घूंटी पिलाई जा रही है. जो गरीबों के साथ अन्याय है.

गरीब झोपड़े में परिवार के साथ निवास कर रही महिला प्रमिला मानेश्वर की मानें तो 2020 से उसने प्रधानमंत्री आवास योजना का आवेदन दिया है, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है, आज तक उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं दिया गया. जब भी नगरपालिका जाओ तो केवल मिल जायेगा का आश्वासन दिया जाता है.

घर में काम करने वाली महिला किरणबाई गुर्जर ने बताया कि वह घर-घर काम करने जाती है, नगरपालिका में आवेदन देने के बाद वह कई बार नगरपालिका गई लेकिन हमेशा ही उसे आज आना, कल आना का जवाब मिला. ऐसे में काम करने जाये कि नगरपालिका के चक्कर काटे. सरकार गरीबों को आवास दे रही है तो हमारा भी सपना है कि सरकार हमारा भी घर बना दे.  

युवक परदेशी पांचे का घर पहले नजर में जर्जर नजर आता है, जिसकी मानें तो उसने भी सालो पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन दिया है, लेकिन उसे आवास योजना का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है. कई बार वह नगरपालिका जा चुका है, हर बार केवल उसे आश्वासन ही मिला है. जिसे परेशान होकर वह जर्जर भवन में रहने मजबूर है, जिसके कभी भी धराशाही होने का डर बना रहता है.


Web Title : LETS BUILD OUR HOUSE TOO, GO TO WORK OR MAKE ROUNDS OF THE MUNICIPALITY, AFTER ALL, WHEN WILL THESE POOR PEOPLE GET THE BENEFIT OF HOUSING SCHEME?