मांझी मछुआ समाज की विरोधी है प्रदेश की शिवराज सरकार-मेश्राम, फिशरमेन मछुआ कांग्रेस ने मनाया धिक्कार दिवस

बालाघाट. तत्कालीन केन्द्र की इंदिरा सरकार और प्रदेश की श्यामाचरण शुक्ल की सरकार ने मांझी मछुआ समाज को अनुसूचित जनजाति का अधिकार दिया था. जो समाज को 76-77 मंे मिलता रहा. जिसके बाद उसे बंद कर दिया गया. 14 जून 1992 को तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की सरकार ने मांझी मछुआ समाज के जबलपुर में आयोजित महाकुंभ में अनुसूचित जनजाति मानते हुए आदेश जारी किये थे कि समाज को जाति प्रमाण पत्र जारी किया जायें, लेकिन उस घोषणा पर भी अमल नहीं हो सका. यह बात मध्यप्रदेश फिशरमेन (मछुआ) कांग्रेस जिलाध्यक्ष चारूलाल मेश्राम ने कही.  मांझी मछुआ समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर प्रमाण पत्र जारी करने की तत्कालीन मुख्यमंत्री की घोषणा के 31 साल बाद भी पूर्ण नहीं होने पर मुख्यालय में 14 जून 2023 को मध्यप्रदेश फिशरमेन (मछुआ) कांग्रेस ने धिक्कार दिवस के रूप मंे मनाया.  

जिलाध्यक्ष चारूलाल मेश्राम ने कहा कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने भी समाज से वादा किया था, लेकिन वह झूठा साबित हो गया है और जब से प्रदेश में शिवराजसिंह चौहान की सरकार बैठी है, तब से मांझी मछुआ समाज की सभी सुविधाओं को बंद कर दिया गया है. जिलाध्यक्ष मेश्राम ने बताया कि मांझी मछुआ समाज को परंपरागत रूप से मत्स्याखेट का अधिकार है लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने उसे भी गैर मांझी मछुआ के लोगों के हाथो सुपुर्द कर दिया है. मछुआरों को पहले नावघाट का अधिकार था लेकिन पुलिया बन जाने से वह काम भी मांझी मछुआ समाज से छिन गया है. पहले हमारी जाति, सरल क्रमांक 29 में अनुसूचित जनजाति में दर्ज थी लेकिन अब मांझी मछुआ समाज को ओबीसी में ला दिया गया है. जो समाज की परंपरागत कार्यशैली के अनुरूप नहीं है.  उन्होंने कहा कि प्रदेश की शिवराजसिंह चौहान की सरकार में मांझी मछुआ समाज की सारी सुविधा को खत्म कर दिया गया और गैर मछुआरों को अधिकार देकर मांझी मछुआ समाज को बेसहारा छोड़ दिया गया है. जिसका हम विरोध दर्ज करते है और समाज को सरकार के इस रवैये से जागरूक करने का काम करेंगे.  


Web Title : MADHYA PRADESH GOVERNMENT CELEBRATES DHIKKAR DIWAS WITH SHIVRAJ SINGH CHOUHAN