चले कांवड़िये शिवधाम, सावन के प्रथम सोमवार पर शिव का कांवड़ियों ने किया जलाभिषेक, शिवालयों में उपासना करने पहुंचे भक्त

बालाघाट. श्रावण मास में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन सोमवार के दिन व्रत का पालन कर भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं. सावन के प्रथम सोमवार 10 जुलाई को नगर के शिवमंदिर से शिवभक्त कांवड़ यात्रा के साथ शिवधाम पहंुचे और भगवान शिव का जलाभिषेक किया. गौरतलब हो कि विगत 23 साल से प्रतिवर्ष सावन सोमवार में अनवरत रूप से शिवभक्त कांवड़िये प्रातः 5 बजे श्री शिवसांई मंदिर से पावन जल लेकर शंकरघाट स्थित सिद्धस्थल शिव मंदिर पहुंचते है, जहां स्थित भगवान शिव के शिवलिंग का जलाभिषेक करते है, जिसके बाद वैनगंगा नदी से जल लेकर वापस श्री शिवसांई मंदिर में 250 सौ वर्ष पुराने शिवलिंग और पंचमुखी शिवलिंग का अभिषेक करते है. सावन के पहले सोमवार को जहां कांवड़ियो ने पावन जल से भगवान शिव का अभिषेक किया, वहीं शिवालयो में सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने भक्तों की भीड़ लगा रही.

शुरूआत से इस कांवड़ यात्रा का हिस्सा रहे ज्योतिषाचार्य पं. अरविंदचंद्र तिवारी ने बताया कि विगत 23 वर्षो से कांवड़ यात्रा अनवरत रूप से चली आ रही है, सावन के प्रत्येक सोमवार को यह यात्रा श्री शिवसांई मंदिर से प्रातः 5 बजे प्रारंभ होती है, जो शंकरघाट स्थित शिवमंदिर में भगवान शिव के शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है. जिसके बाद वैनगंगा नदी का जल लाकर श्री शिवसांई मंदिर स्थित 250 सौ साल पुरान शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है.  

गौरतलब हो कि इस साल सावन में अधिकमास लगने के कारण सावन दो महीने का होगा. जिसमें कुल 8 सावन सोमवार होंगे. वैसे तो शिवजी की पूजा के लिए सोमवार का दिन समर्पित होता है. लेकिन सावन में पड़ने वाले सोमवार को महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन किए पूजा-व्रत से दोगुने फल की प्राप्ति होती है. सावन का महीना शंकर भगवान को समर्पित है. भगवान शिव की पूजा के लिए सावन का महीना बेहद खास होता है. सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है. सावन सोमवार व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा विधि विधान से की जाती है. जिनको मनचाहे जीवनसाथी की कामना होती है, वे सावन सोमवार व्रत रखते हैं.

बालाघाट में भी भगवान शिव का उपासना का पर्व सावन सोमवार पर बड़ी संख्या में भक्तगणों ने शिवालय पहुंचकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की. कहा जाता है कि सोमवार का व्रत करने से सुख, समृद्धि और उन्नति की मनोकामना पूरी होती है. सावन सोमवार के दिन शिव पूजा जल्द फलित होती है. वैसे तो शिव जी एक लौटा जल से ही खुश हो जाते हैं लेकिन सावन सोमवार की पूजा में कुछ विशेष सामग्री का इस्तेमाल किया जाए तो मनचाहा वरदान मिलता है.

बालाघाट में शिवालयो में सावन के प्रथम सोमवार से ही शिवालयों में आराधना और उपासना का दौर प्रारंभ हो गया. वहीं इस दिन से शिवभक्त कांवड़ यात्रा भी निकालना शुरू कर देते है. बालाघाट जिले में कांवड़ यात्रा का सालों पुराना है, जब बालाघाट से इसकी शुरूआत की गई. मुख्यालय में श्री शिवसांई मंदिर से लेकर शंकरघाट स्थित शिव मंदिर और बालाघाट से लांजी स्थित कोटेश्वर धाम तक कांवड़ यात्रा सावन में की जाती है.  


Web Title : ON THE FIRST MONDAY OF SAWAN, DEVOTEES OFFERED PRAYERS TO LORD SHIVA.