चार ग्रामों के आवासहिन ग्रामीणों ने की भू-अधिकार दिये जाने की मांग, नहीं मिला न्याय तो कोर्ट की लेंगे शरण-वैभव बिसेन

बालाघाट. जनपद सदस्य वैभव बिसेन के नेतृत्व में अंतिम बार प्रशासन को लालबर्रा क्षेत्र क्रमांक 21 के अंतर्गत आने वाली चार पंचायतों के आवासहीन ग्रामीणों ने भू-अधिकार पट्टा दिये जाने की मांग की है. जनपद सदस्य वैभव बिसेन ने बताया कि क्षेत्र क्रमांक 21 अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत गर्रा, ग्राम पंचायत डोंगरिया, ग्राम पंचायत मांझापुर और ग्राम पंचायत लेंडेझरी में सैकड़ो की तादाद में ऐसे परिवार निवासरत है जो वर्षो से कच्चे मकान बनाकर शासकीय भूमि पर निवास कर रहे है, जिन्हें आज तक कोई भू-अधिकार पट्टा नहीं मिला है. मेरे द्वारा निजी तौर पर वर्ष 2015 में जनपद सदस्य निर्वाचित होने के पश्चात क्षेत्र में आवास की समस्या को देखते हुए वर्ष 2016 में डोंगरिया और मांझापुर पंचायत से पट्टे के लिए आवेदन करवाया गया था. जिसके बाद ग्राम पंचायत गर्रा द्वारा वर्ष 2017 में एक बार और पट्टा दिये जाने की मांग का आवेदन प्रशासन को दिया गया था. जिस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई. जिसे देखते हुए 2018 में मेरे द्वारा निजी तौर पर स्वयं के व्यय से क्षेत्र अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत गर्रा, डोंगरिया, मांझापुर और लेंडेझरी में पट्टा विहिन परिवारों का सर्वे करवाया गया. जिसमें ग्राम पंचायत गर्रा में 250 घर, ग्राम पंचायत डोंगरिया में 37 घर, ग्राम पंचायत लेंडेझरी में 21 घट और ग्राम पंचायत मांझापुर में 39 घर शामिल है. जिसके बाद मेरे द्वारा 17 सितंबर 2019 और दूसरा आवेदन 26 सितंबर 2019 को दिया गया था. जिस पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई.

जनपद सदस्य वैभव बिसेन ने बताया कि इस वर्ष बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण आवासीय बसाहट क्षेत्र के हालत बिगड़ गये थे. निचले और डूबे क्षेत्रो में पानी भर जाने से लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा. इन स्थानों में कच्चे आवासीय मकान होने के कारण बसाहट के लोग बेघर हो गये. ऐसे हालत के बावजूद गरीब एवं सर्वहारा मजदूर वर्ग के पास आवासीय पट्टे नहीं होने से इन्हें शासन द्वारा प्रदत्त पक्के आवास की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्हांेने कहा कि मेरे द्वारा कई वर्षो से लगातार प्रयास किया जा रहा है कि गरीब और आवासहीन परिवारों को भू-अधिकार का प्रयास किया जा रहा है, परंतु प्रशासनिक मद परिवर्तन अड़चनों के कारण गरीब परिवारों को भू-अधिकार नहीं मिल पा रहा है. हमारे द्वारा लगातार प्रयास और सतत दिये गये आवेदनों पर सुनवाई नहीं होने से क्षेत्र के गरीब आवासहीन परेशान और हताश है. जिनकी स्थिति को देखते हुए न्याय के लिए अब हमारे पास उच्च न्यायालय की शरण में जाने के अलावा और अन्य कोई विकल्प नहीं है.  

जनपद सदस्य वैभव बिसेन ने कहा कि अंतिम स्मरण पत्र के बाद भी प्रशासन आवासहीन पात्र हितग्राहियों को भू-अधिकार का हक प्रदान नहीं किया जाता है तो जनहित में वह न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगे और न्यायालय से पीड़ित गरीब परिवारों के लिए न्याय मांगेगे. उन्होंने एक बार फिर प्रशासन से आवासहीन ग्रामीण लोगों को आवास के लिए पट्टा प्रदान किये जाने की मांग की है.


Web Title : VILLAGERS OF FOUR VILLAGES DEMAND LAND RIGHTS, NOT FOUND JUSTICE, COURT TO TAKE SHELTER VAIBHAV BISEN