कौन करेगा धान उपार्जन का काम, सहकारी प्रबंधकों और केन्द्र प्रभारियों ने धान खरीदी नहीं करने का दिया अल्टीमेटम, वसुली की राशि से चितिंत, कर्मचारी

बालाघाट. धान बाहुल्य जिले में जिस तरह से नियमों की अवहेलना कर, करोड़ो रूपयो का घाटा उठाकर प्रशासन ने मिलर्स को जो धान बेचा, उसके भाव के अंतर की राशि, अब समिति प्रबंधकों से वसुले जाने के बैंक के आदेश के बाद, चिंता में आये सोसायटी और केन्द्र प्रबंधकों ने मोर्चा खोल दिया है. उनका कहना है कि यह सोसायटी के द्वारा नहीं बल्कि शासन की नीतियों के कारण हुआ नुकसान है, जिसकी भरपाई सोसायटियों से किया जाना न्यायसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत विपणन संघ पर अनुबंध के अनुसार कार्य नहीं किये जाने का बड़ा और संगीन आरोप लगाया है.

संगठन का कहना है कि शासन की नीतियों के अनुरूप सहयोग कर रही सोसायटी के कर्मचारी दिन, रात एक कर सरकार की धान उपार्जन नीति को सफल बनाने में अपना योगदान देते है और हर किसान का धान खरीदने में सहयोग करते है. केवल उन पर ‘‘अंतर’’ की राशि के वहन की जिम्मेदारी देना, भेदभावपूर्ण रवैया है. सोसायटी या सोसायटी संचालकों से की जाने वाली इस वसुली को नहीं रोके जाने पर सोसायटी कर्मचारी और केन्द्र प्रभारियों ने इस वर्ष धान उपार्जन में सहयोग नहीं करने का ऐलान किया है. उनका कहना है कि इसमें सारी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की है, संस्थागत कर्मचारी नहीं. जिससे आगामी समय में होने वाली धान खरीदी केन्द्रो को लेकर चिंता होना लाजिमी है. बालाघाट जिले में अब तक समर्थन मूल्य में धान खरीदी 126 सहकारी समितियों के माध्यम से की जाती रही है.

चूंकि वर्ष 2018-19 में हुए लगभग 79 हजार क्विंटल धान, व्यापारियो को 14 सौ रूपये में बेचे जाने के कारण कृषकों से 1750 रूपये में खरीदी गई धान के अंतर की राशि (लगभग 350 रूपये), अब बैंक के माध्यम से समिति को दिये जाने के निर्देश जारी किये गये है. जिसका सोसायटी प्रबंधकों ने केन्द्र प्रभारियों ने विरोध दर्ज करते हुए धान खरीदी केन्द्र के दौरान होने वाली समस्याओं को विस्तारपूर्वक ज्ञापन के बिंदुओं के माध्मय से अवगत कराया है.

मौखिक आदेश पर बिक गया करोड़ा का धान

बालाघाट जिले में सोसायटियों के माध्यम से खरीदे गये लगभग तीन करोड़ रूपये से ज्यादा के धान को जब सरकार नहीं खरीद सकी और उसका भुगतान शासन स्तर पर संभव नहीं हो सका. उस धान को कलेक्टर, डीएम, उपायुक्त एवं बैंक महाप्रबंधक के मौखिक आदेश पर 14 सौ रूपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापारियों को बेच दिया गया. मौखिक आदेश पर इतनी बढ़ी डील हो जाना, सोसायटी प्रबंधकों के लिए भी अचरज था लेकिन प्रशासन के मौखिक आदेश पर देना, उनकी मजबूरी थी और वह उन्होंने दे दिया, लेकिन अब अंतर की राशि सहकारी समिति और केन्द्र प्रभारी से वसुली जाने के किये जाने उन्हें परेशान किया जा रहा है. जिसको लेकर सहकारी समिति महासंघ ने आज एक ज्ञापन के माध्यम से जिला प्रशासन से अपनी बात पहुंचाई है, अब देखना है कि बालाघाट प्रशासन पैदा हो रही नई समस्या को लेकर किस प्रकार समन्वय बनाता है, ताकि धान उपार्जन के दौरान कोई समस्या न हो. गौर से देखा जायें तो सहकारी कर्मचारियों ने जो मांगे उठाई है, वह निश्चित ही जांच का विषय, जिसे प्रशासन को अपनी व्यवस्था में सुधार करने की आवश्यकता है फिर चाहे इसके लिए उसे अपने मतहतों पर तीव्र दृष्टि ही क्यों न डालना पड़े.  

बालाघाट में आज जिले की सभी 126़ सहकारी सोसायटी प्रबंधक और केन्द्र प्रभारियों ने बालाघाट में मध्यप्रदेश सहकारी कर्मचारी महासंघ भोपाल के बैनर तले जिलाध्यक्ष पी. सी. चौहान के नेतृत्व में प्रशासनिक अधिकारी कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन सौंपा. जिस ज्ञापन के माध्यम से धान उपार्जन में आ रही अपनी समस्याओं से अवगत कराने के साथ ही विपणन संघ पर अनुबंध के तहत काम नहीं करने का गंभीर आरोप लगाया है, जिससे विभाग के जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते है. दूसरी ओर अधिकारी इस मामले में बोलने से भी बच रहे है.


Web Title : WHO WILL DO PADDY PROCUREMENT WORK, COOPERATIVE MANAGERS AND CENTRAL CHARGE SHEETS GIVEN ULTIMATUM NOT TO PURCHASE PADDY, WORRIED ABOUT THE AMOUNT OF VASULI, EMPLOYEES