डाक विभाग में करोड़ों के घोटाले की जांच कर सकती है सीबीआई

धनबाद. गोविंदपुर केके पॉलीटेक्निक उप डाकघर में चार करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले की जांच अब सीबीआई कर सकती है. इसके लिए विभागीय अधिकारियों ने पहल शुरू कर दी है. तीन-चार दिनों में सीबीआई को केस हैंडओवर करने की बात कही जा रही है. वरिष्ठ डाक अधीक्षक उत्तम कुमार सिंह ने कहा कि विभागीय जांच अंतिम चरण में है. आरोपियों पर चार्जशीट दायर कर सीबीआई के हाथों में जांच सौंप दी जाएगी. बहरहाल, केके पॉलीटेक्निक उप डाकघर के अबतक 49 खाते फ्रीज कर दिए गए हैं. उप डाकघर से एसबीआई, एक्सिस, एचडीएफसी, बंधन, आईसीआईसीआई सहित अन्य बैंकों में करोड़ों की राशि भेजकर निकासी हुई है. कुछ बैंक खाते में लाखों रुपए पड़े हैं, जिसे फ्रीज कर दिया गया है. उप डाकघर के प्रभारी सहायक पोस्टमास्टर सुमित सौरभ कुमार का झरिया तबादला कर दिया गया है, लेकिन उन्होंने अबतक योगदान नहीं किया. मालूम हो कि धनबाद के गोविंदपुर केके पॉलीटेक्निक उप डाकघर में चार करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले सामने आए हैं. उप डाकघर के जीएल खाते के मंथली रिटर्न की जांच में पूरे मामले का खुलासा हुआ है. जांच में राशि निकासी से संबंधित लेखा-जोखा में गड़बड़ी पायी गई है. जांच के उपरांत कई और मामले सामने आए हैं, जिसमें 20 लाख रुपए की रिकवरी की गई है. इसको लेकर डाक विभाग में पूरी तरह से हड़कंप मचा है.

दो साल से चल रहा था घोटाले का खेल: विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि दो साल पूर्व सुमित सौरव कुमार का प्रधान डाकघर से केके पॉलिटेक्निक उप डाकघर तबादला किया गया, जहां वे सिर्फ अकेले काम कर रहे थे. उन्होंने दर्जनों खाते खुलवाकर अपना मोबाइल नंबर चढ़ा दिया. खाते में कोई राशि जमा नहीं कर रहा था, बल्कि वे खुद जितना मन होता था उतनी राशि खाते में चढ़ा देते थे. इसके बाद उन्होंने विभिन्न बैंकों में ट्राजेंक्शन कर राशि की निकासी कर ली, जबकि वे विभाग में खाते में जो राशि चढ़ा रहे थे, उसका एक रुपए भी प्रधान डाकघर में नहीं आया. ट्रांजेक्शन से संबंधित जिम्मेदार पद पर कार्यरत कर्मचारी परितोष लकड़ा, शंकर भाटिया, भरत प्रसाद रजक उसे देखकर नजरअंदाज कर रहे थे. मंथली रिटर्न की रिपोर्ट में सुमित सौरभ कुमार ने डेविड और क्रेडिट को एडजस्टमेंट करने में एक जीरो अधिक लिख दिया था. रांची डीएपी ऑफिस ने यह गड़बड़ी पकड़ ली. जांच में पहले 20 हजार रुपए के हिसाब में गड़बड़ी आ रही थी. फिर पुन: जांच की गई तो यह राशि डेढ़ करोड़ से बढ़कर चार करोड़ रुपए तक पहुंच गई. ये घोटाले की राशि हर दिन बढ़ती जा रही है. इधर, विभागीय कर्मचारियों ने बताया कि यह घोटाला करीब 10 करोड़ तक पहुंचेगा. साथ ही कहा कि जब से सुमित सौरभ कुमार केके पॉलिटेक्निक उप डाकघर भेजे गए थे. उस समय से अबतक एक बार भी कार्यालय खर्च नहीं लिया था.