महाशिवरात्रि पर करें हाउसिंग काॅलोनी के इस मंदिर में शिव के 18 रुद्रस्वरूपों, 19 अंशावतारों एवं विश्वरूप के दर्शन

धनबादः आज यानी 21 फरवरी को देवाधिदेव महादेव से जुड़ा सबसे बड़ा त्योहार- महाशिवरात्रि है. माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था. केवल भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के कई हिस्सों में बड़े धूम-धाम से यह मनाया जाता है. धनबाद के भी कई मंदिरों में इसे लेकर तैयारियां की गई हैं. हाउसिंग काॅलोनी के शिव मंदिर (कैलाश धाम) में तो 18 रुद्रस्वरूपों, 19 अंशावतारों एवं विश्वरूप के दर्शन होंगे. कोयलांचल का अपनी तरह का यह एकमात्र मंदिर है.    

हाउसिंग काॅलोनी के कैलाशधाम में विशेष आयोजनः 

शहर के सरदार पटेल नगर (हाउसिंग काॅलोनी) के एमआइजी आर टाइप में छठ तालाब के समीप स्थित भगवान शंकर के इस मंदिर में महाशिवरात्रि को लेकर विशेष तैयारियां की गई हैं. आयोजन समिति की शशिप्रभा सिंह व अभिषेक प्रताप सिंह (सोनू) ने बताया कि महाशिवरात्रि का आयोजन प्रत्येक वर्ष कैलाशधाम में धूम-धाम से किया जाता है. इस साल भी पूरी तैयारियां की गई हैं. भक्तजनों के लिए सारी सुविधाएं हैं. पूरी काॅलोनी एवं मंदिर से जुड़े लोगों के सहयोग से आयोजन को श्रेष्ठ बनाने में, हमलोगों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है.  

रुद्रस्वरूपों, अंशवातारों एवं विश्वरूप के दर्शन से भक्तजन होंगे निहालः 

मंदिर में भगवान के कुल 18 रुद्रस्वरूपों, 19 अंशावतारों एवं विश्वरूप की तैल छवि को चित्रित किया गया है. सिद्धहस्त कलाकारों ने ऐसी छवि बनाई हैं, मानों सभी सजीव ही हैं. भक्तों को भोलेनाथ के इन रूपों को देख भक्तजन निहाल हो उठेंगे.   

दोपहर एक बजे से होगा रूद्राभिषेक

अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि कैलाशधाम में दोपहर एक बजे से रुद्राभिषेक का कार्यक्रम रखा गया है. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक के बारे में यजुर्वेद रुद्राष्टाध्यायी में वर्णन मिलता है. इसके मुताबिक शिव ही रुद्र हैं. रुद्राभिषेक का अर्थ रुद्र यानी शिव का अभिषेक करना है. मान्यता है कि शिव के माथे पर गंगा विराजमान होने के कारण उन्हें रुद्राभिषेक के तौर पर गंगाजल से स्नान करना प्रिय है. इसके अलावा मान्यता ये भी है कि जब भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई, तब वे इसका कारण जानने के लिए विष्णु जी के पास पहुंचे. भगवान विष्णु जी ने जब उनकी उत्पत्ति के बारे में कहा तो वे संतुष्ट नहीं हुए और दोनों में युद्ध हुआ. इसके बाद रुद्र शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए. जब ब्रह्मा जी को शिवलिंग का कोई आदि और अंत के बारे में पता नहीं चला, तो उन्होंने शिवलिंग का अभिषेक किया. इसके बाद भगवान शिव प्रसन्न हुए. कहते हैं कि उसके बाद से ही रुद्राभिषेक शुरू हुआ. शुक्ल यजुर्वेद में रुद्राभिषेक श्रेष्ठ बताया गया है. इसलिए कैलाशधाम में भी पूरे नियम-उपचार के साथ शिवशंभु का रुद्राभिषेक किया जाएगा.  

संध्या छ: बजे होगा शिव-विवाह:

मंदिर में संध्या छ: बजे पूरे विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह होगा. गाजे-बाजे के साथ इस विवाहोत्सव का आनंद भक्तजन उठायेंगे.  

रात्रि आठ बजे से बहेगी भजन की अविरल गंगा:

भगवान शिव के विवाह के बाद रात्रि में भजन की अविरल गंगा बहेगी. भजन मंडली के प्रभारी आनंद कुमार ने बताया कि हिन्दी, भोजपुरी, मगही, मैथिली और अन्य लोकभाषाओं के गीतों और भजनों का सुमधुर गायन कर हमसब महादेव को रिझाएंगे. भजन-कीर्तन का कार्यक्रम देर रात तक चलेगा. गीत-संगीत की निर्झरिणी में भक्तजन डूबते-उतराते रहेंगे.  

माता पार्वती को सिंदुर लगाने को उमड़ती है भीड़:

आयोजक बताते हैं कि हर वर्ष माता पार्वती और भगवान भोले शंकर के विवाह के बाद माता पार्वती की प्रतिमा में सिन्दुर लगाने को महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ती है. महिला भक्तजन पूरे उत्साह से इस पर्व का आनंद कैलाशधाम प्रांगण में लेती हैं.

आयोजन स्थल की हुई है अनुपम सजावटः

महाशिवरात्रि को लेकर कैलाशधाम को बखूबी सजाया गया है. इसके लिए विविध प्रकार के यत्न किये गए हैं. फूलों का भव्य शृंगार किया गया है. इसके लिए पुरजोर तैयारियां की गई. सिद्धहस्त कलाकारों अपनी कारीगरी से मनोरम छटा प्रस्तुत की है. फूलों की ऐसी सजावट हुई है, जो सबका मन मोहने में सफल होगी.  

हजारों लोग होंगे आयोजन में शामिलः

महाशिवरात्रि के कार्यक्रम में कैलाशधाम में लगभग दो हजार लोग सम्मिलित होंगे एवं भोलेशंकर की महिमा का बखान कर पुण्य के भागीदार बनेंगे. रुद्राभिषेक, विवाह एवं भजन-कीर्तन के भारी संख्या में भक्तजन शामिल होंगे.  

कई दिनों से हो रही हैं तैयारियांः

कैलाशधाम में महाशिवरात्रि के आयोजन की तैयारियां विगत कई दिनों से जोर-शोर से हुई. मंदिर से जुड़े प्रत्येक सदस्य श्रद्धापूर्वक इस भक्ति पूर्ण आयोजन को सफल बनाने में लगे हुए हैं.